शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वर्षों से लंबित फलोदी/बालेसर/समदड़ी रेल परियोजना को लेकर एक बार फिर उम्मीदें जगी हैं। करीब 25 वर्ष पूर्व वर्ष 1999-2000 में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री नीतीश कुमार और वित्त मंत्री जसवंत सिंह जसोल ने इस रेल लाइन का सर्वे स्वीकृत कर करीब 11 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया था। सर्वे रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी भी गई, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही यह महत्वाकांक्षी परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई।
शेरगढ़ आज भी रेल सेवा से वंचित
शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र आजादी के बाद से रेल सुविधा से वंचित रहा है, जबकि आसपास के क्षेत्रों — जोधपुर, ओसियां, फलोदी, पोकरण और बालोतरा — में रेल नेटवर्क मौजूद है। क्षेत्रीय नेताओं एवं आम जनता की वर्षों पुरानी मांग के बावजूद रेल लाइन का सपना अधूरा ही रह गया।
इको टूरिज्म और उद्योगों को मिलेगी नई पहचान
फलोदी-बालेसर-समदड़ी रेल लाइन बनने से क्षेत्र में न केवल आवागमन सुलभ होगा, बल्कि इको टूरिज्म और स्थानीय उद्योगों को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। बालेसर क्षेत्र का सैंडस्टोन खनन उद्योग प्रदेश में दूसरा स्थान रखता है, जहाँ से प्रतिदिन हजारों ट्रकों द्वारा पत्थर देशभर में भेजा जाता है। रेल कनेक्टिविटी से इन उत्पादों का निर्यात और अधिक सुगम हो सकेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
राजनीतिक नेतृत्व का समर्थन
शेरगढ़ विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने बताया कि वर्ष 1999-2000 में तत्कालीन मंत्रियों के समक्ष उन्होंने यह प्रस्ताव रखा था, जिसके बाद सर्वे कार्य पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र एवं राज्य में एक ही पार्टी की सरकार है, इसलिए केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सहयोग से इस परियोजना को पुनः मंजूरी दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
भविष्य की राह
पूर्व प्रधान भंवर सिंह इंदा ने कहा कि यदि यह रेल परियोजना धरातल पर उतरती है, तो यह क्षेत्र के विकास की रीढ़ सिद्ध होगी। उद्योग, व्यापार और पर्यटन के साथ-साथ आम जनता को भी बड़ी राहत मिलेगी। फिलहाल परियोजना प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष लंबित है और क्षेत्रीय जनता को अब इस सपने के साकार होने की प्रतीक्षा है।