राजस्थान की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बार मुद्दा है राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक और खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल को विधायक आवास खाली करने के लिए भेजा गया नोटिस। जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर बेनीवाल के समर्थकों और विरोधियों के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया। भाजपा और कांग्रेस—दोनों पर आरोप लग रहे हैं कि वे मिलकर बेनीवाल को निशाना बना रही हैं।
जयपुर स्थित विधायक आवास को लेकर शुरू हुए इस विवाद में बताया गया है कि हनुमान बेनीवाल अब पूर्व सांसद हो चुके हैं, जबकि उनके पास पहले से विधायक कोटे का आवास मौजूद है। नियमानुसार, एक व्यक्ति एक ही सरकारी आवास रख सकता है। इसी नियम का हवाला देते हुए विधानसभा सचिवालय ने उन्हें आवास खाली करने का नोटिस जारी किया है। नोटिस की खबर सामने आते ही बेनीवाल समर्थकों ने सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया। #HanumanBeniwal और #राजनीतिकसाजिश जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। समर्थकों का कहना है कि यह पूरा मामला “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है।
एक यूज़र ने लिखा “सच बोलने की सज़ा भुगत रहे हैं हनुमान बेनीवाल! भाजपा और कांग्रेस दोनों मिलकर लोकतंत्र का गला घोंटने में लगे हैं।” इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नाम भी सामने आ रहा है। बेनीवाल समर्थकों का आरोप है कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दबाव में यह नोटिस जारी करवाया गया है। वहीं भाजपा समर्थकों का कहना है कि नियमों का पालन सभी को करना चाहिए और बेनीवाल को कोई विशेष छूट नहीं मिल सकती।
दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साध रखी है, जिससे RLP समर्थकों का गुस्सा और भड़क गया है। उनका कहना है कि कांग्रेस भी भाजपा के इशारे पर चल रही है, ताकि राज्य में कोई तीसरी ताकत न उभर सके। हनुमान बेनीवाल ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा “मैं न झुका हूं, न झुकूंगा। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, मैं दोनों के भ्रष्टाचार और गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठाता रहूंगा। यह नोटिस मुझे डरा नहीं सकता।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हनुमान बेनीवाल पिछले कुछ समय से एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं जो कांग्रेस और भाजपा दोनों के खिलाफ मुखर होकर बोलते हैं। चाहे किसान आंदोलन हो या बेरोजगारी का मुद्दा बेनीवाल ने हमेशा दोनों दलों को कठघरे में खड़ा किया है। यही कारण है कि अब दोनों पार्टियां उनके खिलाफ एकजुट होती दिख रही हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि हनुमान बेनीवाल विधायक आवास खाली करते हैं या कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं। इस पूरे विवाद ने राजस्थान की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। सोशल मीडिया पर जिस तरह से बहस तेज़ हुई है, उससे यह साफ हो गया है कि यह मुद्दा केवल एक आवास का नहीं, बल्कि सत्ता बनाम विपक्ष से अलग एक वैकल्पिक राजनीति की लड़ाई बन चुका है।
हनुमान बेनीवाल के खिलाफ की गई इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राजस्थान की राजनीति में अब तीसरी ताकत को लेकर गंभीर बहस छिड़ चुकी है। अब सवाल यही है क्या बेनीवाल इस दबाव में झुकेंगे या और अधिक मज़बूती से उभरेंगे?