राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को जल्द ही डेढ़ साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन अब तक मंत्रिमंडल का न तो विस्तार हुआ है और न ही कोई फेरबदल देखने को मिला है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अगर जुलाई माह में भी कोई बड़ा निर्णय नहीं लिया गया, तो यह मामला और खिंच सकता है। उधर, बिहार चुनाव की तैयारियों के चलते पार्टी नेतृत्व का फोकस भी चुनावी रणनीति पर शिफ्ट हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, 2023 में जिन राज्यों में भाजपा की सरकार बनी है, वहां मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल लंबे समय से लंबित है। यह कवायद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद ही संभव मानी जा रही है। पार्टी को तय करना है कि किस नेता को सरकार में और किसे संगठन में जिम्मेदारी दी जाए। ऐसे में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विस्तार की प्रक्रिया केंद्रीय नेतृत्व की अगली चाल पर निर्भर है।
प्रदर्शन के आधार पर तय होंगे मंत्री
जानकारी के अनुसार पार्टी हाईकमान ने मंत्रियों के प्रदर्शन को मापने के लिए कुछ तय मानदंड बनाए हैं। इन मानकों पर लगातार नजर रखी जा रही है। जैसे ही विस्तार या. फेरबदल का समय तय होगा, उसी आधार पर मंत्रियों का कद तय किया जाएगा। जिनका प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है, उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है।
शेखावाटी अंचल को मिल सकता है ज्यादा प्रतिनिधित्व
प्रदेश मंत्रिमंडल में फिलहाल शेखावाटी क्षेत्र सीकर, चूरू, झुंझुनूं, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। वर्तमान में इस क्षेत्र से केवल एक मंत्री शामिल हैं। लोकसभा चुनाव में पार्टी को यहां अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, जबकि विधानसभा उपचुनाव में कुछ राहत मिली। ऐसे में इन जिलों की हिस्सेदारी बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
छह मंत्री पद अब भी खाली
विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या के अनुसार राज्य में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। अभी मुख्यमंत्री, दो उपमुख्यमंत्री और 22 अन्य मंत्री पद पर कार्यरत हैं। एक मंत्री चुनाव हार चुके हैं, जिससे मंत्रिमंडल की एक और सीट रिक्त हो गई है। इस तरह वर्तमान में छह पद खाली हैं। आगामी निकाय चुनाव और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पार्टी नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है। इस पूरे परिदृश्य में अब निगाहें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर हैं जो निर्णय करेगा तो राजस्थान के राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव संभव है।