हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, एक वर्ष में चार नवरात्रियाँ होती हैं, जिनमें दो गुप्त नवरात्रियाँ और दो प्रत्यक्ष नवरात्रियाँ होती हैं — अश्विन नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि। वर्तमान में चैत्र नवरात्रि चल रही है, जिसे हिंदू नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। यह चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होती है।
इस बीच, नवरात्रि के नौवें दिन का एक विशेष और अद्भुत महत्त्व है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन की महिमा —
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस दिन माँ दुर्गा के नौवें रूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो उपासक नवरात्रि के आठ दिनों तक श्रद्धा और नियमपूर्वक पूजा व व्रत करते हैं, उन्हें नौवें दिन अपने पूजन की सिद्धि प्राप्त होती है।
देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री से ही सिद्धियाँ प्राप्त की थीं और फिर उन्होंने अर्ध पुरुष और अर्ध नारी का स्वरूप धारण किया, जिसे “अर्धनारीश्वर” कहा जाता है। मान्यता है कि माँ दुर्गा ने भगवान शिव को 18 सिद्धियाँ तथा भगवान विष्णु और ब्रह्मा को 8 सिद्धियाँ प्रदान की थीं।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, ये आठ सिद्धियाँ इस प्रकार हैं —
अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वाशित्व।
ऐसा कहा जाता है कि जो भी साधक इन सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है, वह इस सृष्टि में पूज्य हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति बहुत सरलता से हो जाती है।
इस दिन साधक नौ कन्याओं और एक भैरव को भोजन कराते हैं, दक्षिणा आदि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं क्योंकि कन्याएँ माँ दुर्गा का स्वरूप मानी जाती हैं।
माँ सिद्धिदात्री को विद्या और कला की देवी सरस्वती का ही एक रूप माना जाता है। इनका स्वरूप चार भुजाओं वाला होता है। वे सिंहवाहिनी और श्वेत कमल पर विराजमान रहती हैं। इनके दाहिने ओर के निचले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित रहता है।
माँ सिद्धिदात्री के उपासकों को आज के दिन निम्न श्लोक का जाप कर उनकी आराधना करनी चाहिए —
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
अर्थ — हे मां! जो समस्त प्राणियों में मां सिद्धिदात्री के रूप में विद्यमान हैं, आपको मेरा बारंबार प्रणाम है। हे मां! कृपया मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाएं।