जयपुर, 8 जून 2025: राजस्थान के पश्चिमी और सीमावर्ती जिलों में रेल यातायात की मांग वर्षों से उपेक्षित रही है। अब इस क्षेत्र के यात्रियों ने एक बार फिर केंद्र सरकार और रेलवे मंत्रालय से मांग की है कि एक सैम एक्सप्रेस ट्रेन को मेहसाणा, पाटन, भीलड़ी, धानेरा, रानीवाड़ा, भीनमाल, मोदरान, जालोर, मोकलसर, समदड़ी रूट से शुरू किया जाए। यह रूट व्यापारिक, कृषि, धार्मिक और पर्यटन दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, परंतु दुर्भाग्यवश इस मार्ग पर फिलहाल कोई सीधी रेल सेवा उपलब्ध नहीं है। वैसे तो रेल बजट 2025–26 में ₹9,960 करोड़ का ऐलान राजस्थान को रेल बुनियादी ढांचे के विस्तार, एम्मृत-स्टेशन (85 स्टेशनों का विकास), रैक निर्माण, ट्रैक डबलिंग और नई लाइनों हेतु किया गया है।
क्यों है क्षेत्रीय रेल सेवा का अभाव
यह रूट राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती इलाकों को जोड़ता है, जहां हजारों लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं। मेहसाणा, पाटन और जालोर जैसे जिलों में बड़े व्यवसायिक केंद्र हैं, वहीं भीनमाल, मोदरान और समदड़ी जैसे कस्बे धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अगर इस मार्ग पर एक ट्रेन सेवा शुरू की जाती है, तो न केवल आम यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि रेलवे की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। मेहसाणा,पाटन,भीनमाल,समदड़ी जैसे रूट पर मात्र कवरेज नहीं है, जिसके कारण यात्रियों को लंबी दूरी सड़क या बस से तय करनी पड़ती है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस रूट पर सैम (मेल या एक्सप्रेस) ट्रेन चलाई जाए, जिससे रेलवे की आमदनी में भी वृद्धि होगी।
स्टॉपेज की अहमियत क्यों नहीं समझ रही सरकार
प्रस्तावित ट्रेन को सभी छोटे-बड़े स्टेशनों पर ठहराव दिए जाने की मांग है ताकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी लाभान्वित हो सकें। स्थानीय किसानों, छात्रों, व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के लिए यह ट्रेन एक लाइफलाइन साबित हो सकती है। कई बुजुर्गों और महिलाओं को लंबी दूरी की यात्रा के लिए सड़क मार्ग चुनना पड़ता है, जो न तो सुविधाजनक है और न ही सुरक्षित।
क्यों है ट्रेनों की कमी राजस्थान में?
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन रेल संपर्क की दृष्टि से यह अभी भी पिछड़ा माना जाता है। थार मरुस्थल, पहाड़ी क्षेत्र और सीमावर्ती अवस्थिति के चलते यहां रेल लाइनों का विस्तार अपेक्षाकृत धीमा रहा है। कई प्रमुख शहरों और कस्बों को आज भी रेलवे के मुख्य नेटवर्क से सीधे जोड़ा नहीं गया है। कुछ रूट तो ऐसे हैं जहां वर्षों से सिर्फ एक पैसेंजर ट्रेन ही संचालित होती रही है।
ट्रेनों की कमी का पर्यटन पर प्रभाव
राजस्थान विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, माउंट आबू जैसे शहर हर साल लाखों देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करते हैं। परंतु सीमित रेल सेवाओं के कारण कई पर्यटक निजी वाहनों या हवाई मार्ग पर निर्भर होते हैं, जिससे यात्रा का खर्च बढ़ जाता है। यदि राजस्थान के सभी जिलों को अच्छी रेल सेवा से जोड़ा जाए, तो इससे पर्यटन को नया प्रोत्साहन मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
कितनी नई ट्रेनें आईं राजस्थान के हिस्से?
पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान को कुछ नई ट्रेनों की सौगात जरूर मिली है, जैसे कि वंदे भारत एक्सप्रेस (जयपुर–चंडीगढ़, अजमेर–दिल्ली), लेकिन ये अधिकतर प्रमुख शहरों तक सीमित हैं। ग्रामीण या सीमावर्ती क्षेत्रों में नई ट्रेनें नहीं पहुंच पा रही हैं। वर्ष 2024-25 के बजट में राजस्थान को केवल 5 नई ट्रेनें दी गई थीं, जिनमें अधिकांश राजधानी या इंटरसिटी एक्सप्रेस थीं।
क्या है समाधान?
1. नई ट्रेनों की योजना – विशेषकर कम आवागमन वाले रूट्स पर दैनिक या सप्ताहिक ट्रेनें चलाई जानी चाहिए, ताकि क्षेत्रीय जनता की सुविधा बढ़े।
2. स्टॉपेज का विस्तार – नई और मौजूदा ट्रेनों को छोटे स्टेशनों पर भी ठहराव दिया जाए।
3. डिजिटल प्लेटफॉर्म से मांग दर्ज – रेलवे द्वारा ‘जन सुझाव पोर्टल’ जैसे माध्यमों से नागरिकों की मांगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
4. पर्यटन विशेष ट्रेनों का संचालन – भीनमाल, समदड़ी, जालोर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले स्थानों को पर्यटन रेल नेटवर्क में जोड़ा जाए।
सरकार समझे रेलवे सेवाओं का पर्यटन पर असर
आगामी वंदे भारत सेवाओं से जोधपुर, उदयपुर, बीकानेर जैसे पर्यटन हब बेहतर जुड़ेंगे, जिससे पर्यटकों की सुविधा और संख्या में वृद्धि हो सकती है। कुशल रेल कनेक्टिविटी से निजी वाहन या हवाई मार्ग का भार कम होगा। व्यापार और स्थानीय रोजगार भी अटका हुआ है। बेहतर रेल सुविधाओं से किसानों, व्यापारियों को अपने माल का परिवहन सस्ता एवं तेज़ होगा। नई ट्रेनों और पैसेंजर स्टॉपेज से स्थानीय स्टेशनों की गतिविधियाँ बढ़ेंगी, जिससे दुकानदार, ऑटो-रिक्शा आदि कारोबार में वृद्धि होगी।
यह स्टेशन महत्वपूर्ण सरकार ले एक्शन
मेहसाणा–समदड़ी रूट पर ट्रेन चलाने की मांग केवल एक इलाके की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक और पर्यटनिक उन्नति से जुड़ी हुई है। यदि रेलवे इस दिशा में गंभीरता से विचार करता है, तो यह न सिर्फ यात्रियों के लिए सहूलियत की बात होगी, बल्कि रेलवे की आय और राज्य की समग्र प्रगति के लिए भी वरदान साबित हो सकता है।