आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जब पूरे प्रदेश में ‘वन्दे गंगा’ अभियान के तहत कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, वहीं जोधपुर जिले के मेलबा गाँव में इस अभियान को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश देखने को मिला। मेलबा गाँव में पहुंचे अधिकारियों द्वारा ‘वन्दे गंगा’ के तहत कार्यक्रम आयोजित किया गया, लेकिन जब गाँव की महिलाओं ने अपनी प्रदूषित जोजरी नदी की स्थिति को लेकर पोस्टर दिखाए, तो अधिकारियों ने उन्हें नीचे करवा दिया।
गाँव की महिलाओं और युवाओं ने यह सवाल उठाया कि जब गंगा जैसी पवित्र नदियों के संरक्षण की बात हो रही है, तो स्थानीय नदियों—जोजरी और मरूगंगा लूणी को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है? ग्रामीणों ने कहा कि यह अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है। अगर सरकार वास्तव में गंभीर होती, तो जोजरी नदी को फैक्ट्रियों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण से मुक्त कराने के प्रयास किए जाते।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि गाँव के ओरण, तालाब और जल स्रोतों को उन्होंने स्वयं, बिना सरकारी मदद के, NGO की सहायता से साफ किया है। लेकिन सरकारी कार्यक्रमों का आयोजन वहाँ न कर के ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहाँ सिर्फ दिखावा हो। ग्रामीणों ने धवा के उस तालाब का जिक्र किया, जो पूरी तरह जोजरी नदी के प्रदूषित पानी से भरा है, और कहा कि यदि सरकार को वास्तव में पर्यावरण की चिंता होती, तो वहीं जाकर कार्यक्रम करती।
ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, स्थानीय विधायक जोगाराम पटेल, जसराज बिश्नोई, और अन्य जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दें और प्रदूषित तालाबों व नदियों की सफाई कराएं। गाँववालों ने यह भी निवेदन किया है कि सभी जागरूक नागरिक इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक साझा करें, ताकि सच्चाई सामने आ सके और सरकार ठोस कदम उठाए।