सीकर/उदयपुरवाटी, राजस्थान: मणकसास गांव निवासी राकेश जांगिड़, जो रोजगार की तलाश में 21 जून 2023 को दुबई गए थे, बीते करीब 24 महीनों से लापता हैं। परिवारजन उनकी तलाश में थक चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। इस मामले ने प्रशासनिक तंत्र की गंभीर विफलता और प्रवासी श्रमिकों की असुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एजेंट के ज़रिए दुबई रवाना हु
राकेश जांगिड़ को सीकर जिले के एजेंट बनवारी लाल और हरिराम जांगिड़ ने दुबई में बेहतर नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाकर 1.5 लाख रुपये में विदेश भेजा था। परिवार ने अपनी बचत और कर्ज लेकर यह राशि जुटाई थी। लेकिन दुबई पहुँचने के कुछ ही समय बाद राकेश का अपने परिजनों से संपर्क टूट गया। इसके बाद से अब तक कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।
भाई ने दुबई जाकर खोजबीन की, एजेंट ने नहीं की कोई मदद
परिजनों की चिंताओं के चलते राकेश के भाई खुद दुबई गए थे, लेकिन स्थानीय एजेंट ने उनकी कोई सहायता नहीं की। वहां की पुलिस या अन्य भारतीय मिशनों से कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। एजेंट का रवैया गैर-जिम्मेदाराना और असहयोगी रहा। इससे परिवार की उम्मीदें और टूट गईं।
परिवार का बुरा हाल, आर्थिक और मानसिक संकट में
राकेश की बूढ़ी मां, पत्नी और बच्चे लगातार उसके लौटने की आस में दरवाजे की ओर ताक रहे हैं। परिवार में एकमात्र कमाने वाले सदस्य के लापता हो जाने से उनकी आजीविका पर गहरा संकट आ गया है। बुजुर्ग पिता ने बताया, “हमें नहीं पता कि वह ज़िंदा भी है या नहीं। हर दिन अनिश्चितता और डर में बीतता है।”
सरकार और विदेश मंत्रालय से निवेदन
परिवार और ग्रामवासियों ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और दुबई स्थित भारतीय दूतावास को सक्रिय कर राकेश जांगिड़ की खोजबीन में सहायता दी जाए। साथ ही, एजेंटों पर भी सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
संभावित प्रयास जिनसे राकेश की तलाश की जा सकती है:
1. भारतीय दूतावास से संपर्क
दुबई स्थित भारतीय दूतावास को तुरंत पत्र लिखकर गुमशुदगी की जानकारी देनी चाहिए। परिवार या प्रतिनिधि को सीधे दूतावास में संपर्क करना होगा और FIR/गुमशुदगी रिपोर्ट की कॉपी, पासपोर्ट डिटेल, एजेंट की जानकारी और राकेश की तस्वीरें भेजनी होंगी।
2. MEA (विदेश मंत्रालय) की ‘MADAD’ पोर्टल पर शिकायत दर्ज करना
https://madad.gov.in पर जाकर प्रवासी भारतीय से जुड़ी किसी भी समस्या या शिकायत को दर्ज किया जा सकता है। इस पोर्टल पर दी गई शिकायत को मंत्रालय ट्रैक करता है और दूतावास के जरिए कार्रवाई की जाती है।
3. दुबई पुलिस में शिकायत दर्ज
अगर परिवार के पास कोई स्थानीय संपर्क है तो दुबई पुलिस के पास भी रिपोर्ट फाइल करवाई जा सकती है। इसके लिए राकेश के आखिरी ठिकाने की जानकारी बेहद महत्वपूर्ण होगी।
4. NGO और प्रवासी संगठनों की मदद लेना
गल्फ देशों में कार्यरत कुछ भारतीय एनजीओ जैसे ‘Pravasi Bharatiya Sewa’ या ‘Emigrate Welfare Trust’ ऐसे मामलों में मदद करते हैं। इनसे सोशल मीडिया के माध्यम से भी संपर्क किया जा सकता है।
5. एजेंट पर कानूनी कार्रवाई
भारत में जिन एजेंटों के ज़रिए राकेश को विदेश भेजा गया था, उनकी जानकारी के आधार पर पुलिस में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है। विदेश मंत्रालय के तहत पंजीकृत न होने पर उन पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि देशभर में विदेश रोजगार के लिए जाने वाले हजारों श्रमिकों की असुरक्षा को उजागर करती है। बिना पंजीकरण और वैध प्रक्रिया के एजेंटों द्वारा विदेश भेजे गए लोगों के साथ धोखाधड़ी, शोषण और लापता हो जाना आम बात होती जा रही है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे मामलों में सख्ती से पेश आए, प्रवासी श्रमिकों की निगरानी के लिए सशक्त तंत्र बनाए और लापता हुए श्रमिकों की त्वरित तलाश सुनिश्चित करे। समाप्ति में, राकेश जांगिड़ की लापता होने की यह घटना एक परिवार की करुण पुकार है। यह ज़रूरी है कि प्रशासन, पुलिस और विदेश मंत्रालय इस ओर ध्यान दें ताकि परिवार को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।