राजस्थान पुलिस दूरसंचार कांस्टेबल (ड्राइवर) भर्ती में तकनीकी शाखा (Telecommunications) के अंतर्गत नियुक्ति होती है, अतः मान लिया जाता है कि इस विभाग में ड्राइवर को केवल गाड़ी नहीं, बल्कि कुछ तकनीकी उपकरणों (जैसे वायरलेस सेट, मोबाइल कम्युनिकेशन, आदि) को भी संभालना पड़ सकता है। इसलिए फिजिक्स + मैथ्स स्ट्रीम के विद्यार्थी ही इसे दे सकते हैं।
लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही है।
ड्राइवर का कार्य गाड़ी चलाना, वाहन की देखरेख करना और फील्ड सपोर्ट देना होता है, न कि तकनीकी या वायरलेस उपकरणों को ऑपरेट करना। यदि तकनीकी काम करवाना हो, तो उसके लिए अलग से टेक्निकल स्टाफ होता है, ड्राइवर नहीं। इतनी ही जरूरत है तो इन अभ्यर्थियों को भी ट्रेनिंग दी जा सकती है, जो युवा भेड़ बकरियों की तरह ट्रेनों में लदकर घंटों लाइनों में खड़े रहकर परीक्षा देने जाते हैं। उसके लिए ये कोई बड़ी बात नहीं होगी कि परीक्षा निकालने के बाद ट्रेनिंग में इसे सीखना पड़े।
अन्य भर्तियों में तो ऐसी योग्यता नहीं।
राजस्थान पुलिस के अन्य कांस्टेबल (ड्राइवर) पदों में केवल 12वीं पास (कोई भी स्ट्रीम) के साथ 1 साल पुराना वैध ड्राइविंग लाइसेंस और CET (कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) ही मांगा जाता है। तो सवाल उठता है, दूरसंचार ड्राइवर को अलग मापदंडों से क्यों परखा जा रहा है। भर्ती प्रक्रिया को व्यावहारिक बनाने के साथ-साथ ज्यादा समानता और न्याय देने और ज्यादा बेरोजगारों को अवसर देने के लिए यह जरूरी है कि 12वीं (Arts, Commerce, Science) + CET + वैध ड्राइविंग लाइसेंस (1 साल पुराना) वालों को मौका दिया जाए। वो बात अलग है कि अब ज्यादा लोग परीक्षा देने आएंगे और ज्यादा बेरोजगार कैमरा के सामने आकर बता देंगे कि यह देश किस तरह अपने ही भविष्य के साथ खेलता है।