जालौर, राजस्थान: जालौर रेलवे स्टेशन पर आम यात्रियों और उनके साथ आए लोगों को मोबाइल से स्टेशन परिसर या ट्रेनों की सेल्फी, वीडियो या फोटो लेना अब मुश्किल हो गया है। कई यात्रियों ने आरोप लगाया है कि GRP (Government Railway Police) और रेलवे स्टाफ द्वारा फोटो खींचते या वीडियो बनाते हुए पकड़े जाने पर न केवल डिलीट करवाया जा रहा है, बल्कि जुर्माना भी वसूला जा रहा है।
हाल ही में कुछ स्थानीय यात्रियों और यूट्यूबरों ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यदि कोई संदिग्ध गतिविधि होती है या रेलवे व्यवस्था में कोई खामी होती है, तो उसका प्रमाण एक वीडियो या फोटो ही हो सकता है। ऐसे में यात्रियों को इस हद तक रोकना कहीं न कहीं जनहित में उठाए जाने वाले कदमों पर भी असर डालता है।
क्या है नियम?
भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, रेलवे परिसरों, ट्रेनों, यार्ड्स या संवेदनशील स्थानों पर फोटोग्राफी करना सुरक्षा कारणों से प्रतिबंधित हो सकता है। विशेषकर सुरक्षा प्रतिष्ठानों, पुलों, और कंट्रोल रूम्स जैसे स्थानों पर अनुमति के बिना फोटो-वीडियो बनाना मना है। हालांकि, सामान्य प्लेटफॉर्म या सार्वजनिक क्षेत्र में यात्रियों द्वारा स्मृति के रूप में सेल्फी लेना आम बात है।
व्लॉगरों और यात्रियों की चिंता
लोकल कंटेंट क्रिएटर्स, व्लॉगर और सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि वे पर्यटन, रेलवे सुविधाओं की समीक्षा, या यात्रियों की समस्या उजागर करने के लिए वीडियो बनाते हैं। ऐसे में हर बार GRP द्वारा रोकना और बिना कोई नोटिस दिए जुर्माना वसूलना अव्यवहारिक और अनुचित है।
प्रशासन का क्या कहना है?
रेलवे प्रशासन और GRP अधिकारियों की ओर से अभी तक इस विषय पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई सुरक्षा कारणों और सोशल मीडिया पर फैलने वाली गलत सूचनाओं को रोकने के उद्देश्य से की जा रही है।
क्या यह कार्रवाई उचित है?
सही तब: यदि फोटोग्राफी से रेलवे की सुरक्षा को खतरा हो, या कोई संवेदनशील क्षेत्र शूट किया जा रहा हो।
गलत तब: यदि एक यात्री सामान्य वीडियो बना रहा है या निजी उपयोग के लिए फोटो ले रहा है और उसके साथ अभद्रता की जा रही हो या जबरन जुर्माना वसूला जा रहा हो।
आपका क्या कहना है? क्या रेलवे को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए? क्या यात्रियों को उनके अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए?