23 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की और राजस्थान सरकार की निष्क्रियता पर कड़ी आलोचना की। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने राज्य सरकार से पूछा, “एक राज्य के रूप में आप क्या कर रहे हैं? ये छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं, और केवल कोटा में ही क्यों?” कोटा, जो देश का प्रमुख कोचिंग हब माना जाता है, में इस वर्ष अब तक 14 छात्रों ने आत्महत्या की है। कोर्ट ने इस स्थिति को “गंभीर” बताया और राज्य सरकार से पूछा कि क्या इस पर कोई विचार किया गया है।
सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने एक 22 वर्षीय आईआईटी खड़गपुर के छात्र और एक नीट अभ्यर्थी की आत्महत्या के मामलों पर भी चर्चा की। कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में देरी पर नाराजगी जताई और संबंधित पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई को पेश होने का आदेश दिया। राजस्थान सरकार ने बताया कि आत्महत्या के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। हालांकि, कोर्ट ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि राज्य को इस गंभीर मुद्दे पर तुरंत और प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसका उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना और आत्महत्याओं को रोकना है। राजस्थान सरकार ने मार्च 2025 में “राजस्थान कोचिंग सेंटर्स (नियंत्रण और विनियमन) अधिनियम, 2025” पेश किया, जिसका उद्देश्य कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करना और छात्रों के हितों की रक्षा करना है। सुप्रीम कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी कोटा में छात्रों पर बढ़ते मानसिक दबाव और राज्य सरकार की जिम्मेदारी को उजागर करती है। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस गंभीर मुद्दे पर जवाब मांगा है और जल्द समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने को कहा है।