यू तो राजस्थान वीरो की भूमि रही हैं,आज भी राजस्थान के हर गांव – शहर की वीरता के शोर्य पर समूचा भारत आह्लादित होता है और गौरव पाता हैं। क्या आपको पता हैं कि चैत्र रामनवमी के अवसर पर राजस्थान के इन मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती हैं।
झूझंनू खेतड़ी का राम मंदिर
100 से अधिक मंदिर होने के नाते मिनी काशी के रुप में राजस्थान में चर्चित खेतड़ी एक बहुत बड़ी रियासत थी। खेतड़ी रियासत के पांचवें राजा बख्तावर सिंह ने 1826 से 1829 तक राज किया,उनकी तीसरी पत्नी रानी चूड़ावत श्री राम की अनन्य भक्त व उपासक थी।उनके आग्रह पर बख्तावर सिंह द्वारा बनाए गये इस मंदिर को चूड़ावत रानी के नाम से जाना जाता हैं।हैरतअंगेज बात यह है कि रानी ने राजा से कहा था मेरे लिए पहले भगवान तो आप हैं,आपकी मूछें हैं इसलिए प्रस्तावित मंदिर में भी श्रीराम के मूंछ होने चाहिए,इसलिए आज भी भारत में मूछों वाले श्रीराम और लक्ष्मण का एकमात्र यह मंदिर राजस्थान सहित आस पास के राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं।
जयपुर के छोटी चौपड़ स्थित सीतारामजी का मंदिर
करीब 296 साल पुराने जयपुर के राजदरबार में से एक लूणकरण भिखारीदास नाटाणी ने विक्रम संवत 1784 में इस मंदिर का निर्माण कराया था।इस मंदिर के निर्माण में लगभग साढ़े पांच वर्ष लगे इस मंदिर में दो विग्रह स्थापित हैं,काले पत्थर से निर्मित विग्रह चल और अष्टधातु से निर्मित विग्रह अचल है।इसकी खास विशेषता है कि प्रतिदिन सुबह सूरज की किरणें सीधे प्रभु राम के चरणों पर पड़ती हैं।राम जी के अद्भुत महात्म्य वाले इस मंदिर को जयपुर की अयोध्या नगरी भी कहा जाता है।
राजस्थान के अन्य राम मंदिर
करौली में प्राचीन बैठे हनुमान मंदिर के सामने प्रभु श्री राम का विशाल मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। जयपुर में ब्रह्म राम मंदिर और रामचंद्र मंदिर भी श्रद्धालुओं को अपने ओर आकर्षित करते हैं।