जैसलमेर/जयपुर: राजस्थान के वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र की महानतम शख्सियतों में से एक राधेश्याम पेमानी के असामयिक निधन ने प्रदेश ही नहीं, देश-विदेश के पर्यावरण प्रेमियों को भी झकझोर दिया है। गोडावण और थार के दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले राधेश्याम पेमानी को लोग “चलता-फिरता वन विभाग” मानते थे।
लेकिन इन शोक की घड़ियों में एक सवाल प्रदेशभर में गूंज रहा है—राजस्थान के वन मंत्री संजय शर्मा की चुप्पी आखिर क्यों? जहाँ मुख्यमंत्री से लेकर विभिन्न दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वन्यजीव प्रेमियों ने श्रद्धांजलि दी, वहीं वन मंत्री द्वारा न तो कोई शोक संदेश जारी किया गया, न ही परिवार से संवेदना व्यक्त की गई—जिसे आमजन ने “असंवेदनशीलता” करार दिया है।
तीन और वन प्रहरी भी हुए शहीद, पर संवेदना नहीं
वनकर्मी सुरेन्द्र चौधरी, श्याम विश्नोई और कँवराज सिंह भादरिया—तीनों शिकार रोकने के अभियान में हुए हादसे में वीरगति को प्राप्त हो गए। चार-चार वन्यजीव रक्षक खोने के बावजूद मंत्री महोदय की ओर से एक ट्वीट तक नहीं आया।
जनता की माँगें
पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक संगठनों और जैसलमेर के स्थानीय लोगों ने निम्न माँगों को लेकर सरकार से अपील की है:
1. राधेश्याम पेमानी को “गोडावण मैन ऑफ इंडिया” की उपाधि दी जाए।
2. वनकर्मी शहीदों को “सरकारी शहीद” का दर्जा मिले और उनके परिजनों को समुचित सहायता दी जाए।
3. राधेश्याम जी के नाम से “पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार” की शुरुआत की जाए।
4. उनके जीवन और योगदान को राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ वन्यजीव संरक्षण के इस अद्वितीय अध्याय से प्रेरित हो सकें।
समाज और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
राजस्थान ही नहीं, भारत और विश्वभर के पर्यावरण प्रेमी सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।