जयपुर: राजस्थान में पिछले पांच वर्षों में हुई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं में फर्जी दस्तावेजों और डमी अभ्यर्थियों के जरिए सरकारी नौकरियां हासिल करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। राज्य सरकार के निर्देश पर गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर एसओजी (विशेष कार्य बल) ने बुधवार को 31 अभ्यर्थियों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की हैं।
फर्जीवाड़े का खुलासा ऐसे हुआ:
राज्य सरकार के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने आठ सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। इस समिति ने संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा से संभागवार रिपोर्ट मंगवाई और बीकानेर, चूरू, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, कोटा, भरतपुर और पाली संभाग से प्राप्त दस्तावेजों की गहन पड़ताल की। जांच के दौरान ऐसे अभ्यर्थियों की पहचान की गई जिनके परीक्षा रिकॉर्ड में प्रयुक्त फोटो या हस्ताक्षर, नियुक्ति के समय के दस्तावेजों से मेल नहीं खाते थे। इन्हें संदिग्ध मानते हुए छांट दिया गया।
पहली एफआईआर में जिन अभ्यर्थियों के नाम:
पहली एफआईआर में अजमल मीणा, मनराज मीना, नवीन कुमार नेहरा, खुशराज सिंह मीणा, मुकेश कुमार चौधरी, विजय कुमार मीणा, सुरेश कुमार, ओमप्रकाश, मनोहरलाल, श्रवण कुमार, अरुण कुमार बिश्नोई समेत कई अन्य कर्मचारी शामिल हैं। ये सभी विभिन्न सरकारी विद्यालयों में प्रयोगशाला सहायक, पीटीआई, लाइब्रेरियन, कनिष्ठ सहायक और अध्यापक जैसे पदों पर कार्यरत हैं। जांच में इनके दस्तावेज, फोटो व हस्ताक्षर मेल नहीं खाए।
दूसरी एफआईआर में 7 कर्मचारी संदिग्ध:
दूसरी एफआईआर में भी सात कर्मचारियों – रूपेंद्र सिंह चौधरी, नरेश प्रताप, सुनील बिश्नोई, रिडमल राम, बाबूराम बिश्नोई, सुशीला, मनोज कुमार और दिनेश सारण – के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनका चयन अध्यापक लेवल प्रथम विशेष शिक्षक भर्ती परीक्षा 2022 में हुआ था। कमेटी ने इन सभी के दस्तावेजों को भी संदिग्ध पाया।
अन्य संदिग्ध नियुक्तियों की भी जांच:
इसके अतिरिक्त कई अन्य नियुक्तियों की भी जांच की गई, जिनमें गलीफा, रावताराम, ओमप्रकाश बिश्नोई, अनोप राम बिश्नोई, बलवंत सिंह, कैलाश कुमार, अनिल कुमार, दीपाराम, प्रभाबाई, पिंकी कुमारी, राजूराम सारण, सुरेश कुमार और विक्रम अ. सिंह जैसे नाम सामने आए। सभी मामलों में परीक्षा में डमी कैंडिडेट बैठाने और फर्जी दस्तावेजों के उपयोग के प्रमाण सामने आए हैं।
जांच जारी, गिरफ्तारी संभव:
एसओजी ने समिति की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए दो आपराधिक प्रकरण दर्ज किए हैं और विस्तृत जांच प्रारंभ कर दी है। संभावित है कि दोषी पाए गए अभ्यर्थियों के खिलाफ जल्द ही गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाए।
भर्ती व्यवस्था पर सवाल:
इस प्रकरण ने राज्य की भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि आगे से परीक्षा में बायोमेट्रिक हाजिरी, लाइव फोटो, आधार लिंकिंग और सीसीटीवी निगरानी जैसे उपाय अनिवार्य किए जाएं, जिससे इस प्रकार की गड़बड़ियों पर रोक लगाई जा सके।