राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के चेयरमैन आलोक राज ने X पर पोस्ट कर पशु परिचर परीक्षा घोटालों के बारे में एवं अपनी AI से बनाई गई तस्वीरों पर टिप्पणी की है। उनका कहना है कि कुछ लोगों के द्वारा उनके इस तरह के पोस्टर्स बनाने से उन्हें बुरा नहीं लगा क्योंकि ये लोग काफी पीड़ा में हैं। जिनका सिलेक्शन नहीं होता, उनके नंबर वन दुश्मन वे ही हो जाते हैं।
पशु परिचर परीक्षा पर क्या बोले चेयरमैन
पशु परिचर परीक्षा में वास्तव में एक शिफ्ट से ज्यादा और एक शिफ्ट से कम सिलेक्शन हो रहे हैं, मगर ये एक पहले से बनाई और परखी प्रक्रिया और नॉर्मलाईजेशन फॉर्मूला के तहत की गई कार्यवाही है। कैंडिडेट्स जिन्हें इस प्रक्रिया से अन्याय महसूस हो रहा है, उनकी पीड़ा समझते हैं, मगर अपने आप से हम इस नॉर्मलाईजेशन फॉर्मूला को नहीं बदल सकते हैं। वैसे प्रयास होगा कि आगे एकल शिफ्ट परीक्षाएं ही हों या फिर कम से कम शिफ्टों में परीक्षा हो। जेल प्रहरी और आगे आने वाली परीक्षाओं के लिए रिसर्च की जा रही है ताकि शिफ्टों में नॉर्मलाईजेशन से सिलेक्शन में इतना फर्क न आए। आगामी ऐसे एग्जाम्स में इंप्रूवमेंट के लिए बोर्ड प्रयासरत है। जहां तक कुछ लोगों के इल्ज़ाम का सवाल है कि हमने जानबूझ कर छठी शिफ्ट को फायदा दिया, तो वो इस प्रकार है:
1. शिफ्टों में कैंडिडेट्स का अलॉटमेंट रैंडम तरीके से कंप्यूटर के जरिए किया गया था। शिफ्टों में अलॉटमेंट का संबंध न इस बात से था कि आपके आवेदन का क्रमांक क्या था, न आपने कब फॉर्म भरा था या आपका नाम किस अक्षर से शुरू होता है।
2. किस शिफ्ट को कौन सा पेपर आएगा, ये भी पहले से डिसाइड नहीं होता, लॉटरी से उसी दिन डिसाइड होता है।
3. बिल्कुल एक समान पेपर बनाना नामुमकिन है, प्रयास होता है कि एक से पेपर बनें, मगर फिर भी फर्क हो ही जाता है, उसी वजह से नॉर्मलाईजेशन करना पड़ता है।
4. मगर ये बात भी गलत नहीं है कि 6th पारी का पेपर बाकी परियों के मुकाबले कठिन था और नॉर्मलाईजेशन फार्मूले से उनके मार्क्स बढ़े।
5. वैसे में छठी शिफ्ट छोड़, किसी भी शिफ्ट में, मैं किसी को भी नहीं जानता।
अंत में सावालिया सेठ के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चलाते हुए बोले, “सावालिया सेठ, मंदिर में मैंने मन्नत मांगी थी कि मेरे हाथों किसी सही और जेनुइन कैंडिडेट का अहित न हो, उम्मीद है मुझे सावालियां सेठ का आशीर्वाद मिलेगा और हमेशा ही न्याय होगा।”
फिर भी कुछ सवाल बच जाते हैं
सबसे बड़ा सवाल जो इस सफाई के बाद भी बच जाता है कि:
1. शिफ्टों में कैंडिडेट्स का अलॉटमेंट रैंडम तरीके से भले ही कंप्यूटर के जरिए किया गया हो, मगर सिलेक्शन का क्या? अलॉटमेंट से ज्यादा बड़ा मुद्दा सिलेक्शन प्रोसेस का है। आपने शिफ्ट 6 से सबसे ज्यादा अभ्यर्थी क्यों चुने? या ये काम भी कंप्यूटर ने किया कि जिसको चाहा, एल्गोरिथम ने अपने से सिलेक्ट कर लिया।
2. किस शिफ्ट को कौन सा पेपर जाएगा, इसका फैसला लॉटरी से डिसाइड किया गया। कोई भी समझदार इंसान समझ जाएगा कि घोटाला यहीं हुआ है।
3. बिल्कुल ठीक, एक समान पेपर बनाना मुश्किल है, मगर आपके पेपर में इतना अंतर था कि नॉर्मलाईजेशन करते वक्त फेल हो रहा बच्चा पास हो गया और पास हो रहा बच्चा फेल।