जालोर ज़िले में शासन-प्रशासन का आमजन के प्रति सहयोगी भाव लगभग लुप्त होता जा रहा है। जिले की कलेक्ट्रेट स्थित भारत निर्माण सेवा केंद्र में गुरुवार को हुई जनसुनवाई में एक बार फिर यही तस्वीर सामने आई, जब 26 से अधिक पीड़ित अपनी पुरानी समस्याएं लेकर पहुंचे, जिनमें कई मामले 5 से 8 बार तक पहले भी जनसुनवाई में आ चुके हैं।
प्रशासनिक संवेदनहीनता का आलम यह रहा कि कुछ परिवादी बार-बार एक ही शिकायत लेकर आ रहे हैं, लेकिन निस्तारण के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। कलेक्टर ने सुनवाई कर निर्देश तो दिए, लेकिन कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी जिन अधिकारियों पर है, उनकी उदासीनता साफ दिख रही है।
बीडीओ पर मिलीभगत के आरोप
आसाणा के परबत सिंह ने बताया कि वह 5 बार अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर आए हैं, लेकिन सिर्फ उनके अतिक्रमण को हटाया जा रहा है, बाकी को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सायला के बीडीओ खुद अतिक्रमणकारियों से मिले हुए हैं।
नर्मदा लाइन में अवैध कनेक्शन, कार्रवाई नहीं
सांचौर के बाबूलाल विश्नोई ने तीसरी बार अवैध नर्मदा कनेक्शन का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि 4 सालों से अवैध कनेक्शन चल रहे हैं, लेकिन सिर्फ 20 कनेक्शन ही काटे गए। न ही रिकवरी हुई और न एफआईआर।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं मिल रहे लाभ
एक अन्य परिवादी बाबूलाल ने कहा कि वह सोसायटी में नौकरी कर चुके हैं और अब रिटायर हो गए हैं, लेकिन उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिल रहे। 3 बार जनसुनवाई में आ चुके हैं, फिर भी समाधान नहीं मिला।
पट्टा वितरण में भारी अनियमितता
बालवाड़ा की ओरण भूमि पर फर्जी पट्टों का मामला 8वीं बार जनसुनवाई में पहुंचा। शिकायत में बताया गया कि एक ही व्यक्ति को एक ही दिनांक पर, एक ही मिसल में दो-दो अलग पट्टे जारी किए गए।
स्टे हटाकर अवैध म्यूटेशन
बिरानगढ़ निवासी हरीश शर्मा के मामले में कोर्ट के स्टे ऑर्डर के बावजूद म्यूटेशन भर दिया गया। अब नया तहसीलदार स्टे लागू नहीं कर रहा, जबकि कलेक्टर पहले ही इस पर निर्देश दे चुके हैं।
तीन महीने से एक पट्टे के लिए चक्कर
प्रकाश दायमा ने बताया कि अक्टूबर से नगर परिषद में पट्टे के लिए आवेदन किया, लेकिन एडीएम साइन ही नहीं कर रहे। पहले ही आयुक्त द्वारा सहमति दी जा चुकी है।
प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि जालोर में बेलगाम नौकरशाही हावी है, और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही कमजोर पड़ रही है। जनता अब केवल सुनवाई नहीं, ठोस कार्रवाई की मांग कर रही है।