जालोर जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत चिंताजनक है। जिले में संचालित कुल 1900 केंद्रों में से लगभग 35% केंद्रों में बच्चों के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं। इन केंद्रों पर न तो पीने का पानी है, न बिजली और न ही शौचालय जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं। गर्मी के इस मौसम में बच्चों और स्टाफ को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कई केंद्रों की इमारतें इतनी जर्जर हैं कि वहां बच्चों को रखना खतरे से खाली नहीं है। रामदेव कॉलोनी स्थित केंद्र का बरामदा गड्ढों में तब्दील हो चुका है, जहां 2-2 फीट गहरे गड्ढे हैं। केंद्र के कमरे की दीवारों से प्लास्टर झड़ रहा है। वहीं भागली क्षेत्र के केंद्र की सतह जगह-जगह से टूटी हुई है और भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त अवस्था में है।
टीनशेड में बैठते हैं बच्चे
शांति नगर स्थित केंद्र रेंट पर चल रहा है, जहां लोहे के टीनशेड की वजह से भीषण गर्मी में तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री अधिक हो जाता है। यहां पंखे और लाइट की भी कोई व्यवस्था नहीं है। केंद्र स्टाफ ने बताया कि पिछले 4-5 साल से किराया भी नहीं मिला है, ऐसे में वे बिजली की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं।
बारिश में बंद करने पड़ते हैं केंद्र
भास्कर टीम ने एक सप्ताह में 15 आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया, जिनमें से कई की दीवारों में दरारें थीं, छत से पानी टपकने के निशान थे और प्लास्टर झड़ रहा था। बारिश के मौसम में इन केंद्रों में बच्चों की छुट्टियां तक घोषित करनी पड़ती हैं क्योंकि पानी से सारा सामान भीग जाता है और बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है।
किराए के भवनों में नहीं पर्याप्त जगह
जिन केंद्रों का संचालन किराए के भवनों में हो रहा है, वहां जगह की भारी कमी है। एक छोटे कमरे में 15 से 20 बच्चों को बैठाना पड़ता है, जिससे खेल-कूद और पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाता। स्थायित्व नहीं होने से इन केंद्रों की पहचान भी नहीं बन पाती।
396 केंद्रों के लिए भेजा गया सुधार प्रस्ताव
सहायक सांख्यिकी अधिकारी रामजीवन विश्नोई के अनुसार, जिले में खराब हालत वाले 396 केंद्रों को चिह्नित कर उनके सुधार के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। साथ ही परियोजना अधिकारियों को भी जल्द प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। जालोर जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की यह बदहाल स्थिति न केवल बच्चों के विकास में बाधा बन रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।