जालोर जिले की आहोर तहसील स्थित सांकरणा गांव में एक बार फिर नर्मदा नहर परियोजना की असफलता उजागर हो रही है। गांव में चार-पांच दिन के अंतराल पर भी पीने के पानी की भारी किल्लत देखने को मिल रही है। लोगों को बूँद-बूँद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों में नाराजगी
गांववासियों का कहना है कि नर्मदा नहर परियोजना से नियमित जलापूर्ति का दावा हर बार किया जाता है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। गर्मी के इस भीषण मौसम में नल सूखे पड़े हैं और जलदाय विभाग से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा।
पानी की टंकियों में ताले, टैंकरों का सहारा
कई घरों में पानी की टंकियां सूखी पड़ी हैं। लोग मजबूरी में महंगे दामों पर टैंकर मंगवाने को विवश हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कभी-कभी दो-दो दिन पानी नहीं आता, और जब आता है, तो इतना कम कि पूरे घर के लिए पर्याप्त नहीं होता।
प्रशासनिक लापरवाही या तकनीकी गड़बड़ी?
स्थानीय प्रशासन की ओर से न तो कोई स्थायी समाधान किया गया है और न ही नियमित निगरानी की जा रही है। नहरों की सफाई, पाइपलाइन लीकेज और पंपिंग स्टेशन की नियमित जांच नहीं होने से यह समस्या बार-बार लौट आती है।
जल संकट से बढ़ती समस्याएं
जल संकट के कारण स्कूलों, आंगनबाड़ियों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी प्रभाव देखा जा रहा है। साफ पानी के अभाव में बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों की मांग
सांकरणा के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि जलापूर्ति व्यवस्था को तुरंत सुचारू किया जाए और नर्मदा नहर परियोजना की वास्तविक स्थिति की जांच कर लोगों को राहत दी जाए।