राजस्थान की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में चर्चित नाम बन चुके नरेश मीणा को आखिरकार राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज FIR संख्या 166/24 में जमानत याचिका को मंजूरी दे दी है। यह मामला देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान एक बेहद गंभीर आरोप से जुड़ा है, जिसमें नरेश मीणा पर चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम को थप्पड़ मारने का आरोप है। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी थी और प्रशासनिक सख्ती का आधार भी बनी थी।
हाईकोर्ट की जस्टिस अनिल कुमार उपमन की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता नरेश मीणा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. महेश शर्मा, एडवोकेट फतेहराम मीणा और एडवोकेट लाखन सिंह मीणा ने पैरवी की। याचिका में यह दलील दी गई कि पुलिस द्वारा मामले में चालान पहले ही अदालत में पेश किया जा चुका है और अब हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं बनता। इसके अतिरिक्त याचिका में यह भी कहा गया कि नरेश मीणा एक सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्ति हैं, जिनका आपराधिक पृष्ठभूमि से कोई संबंध नहीं रहा है।
हालांकि, जमानत मिलने के बावजूद नरेश मीणा को जेल से फिलहाल रिहाई नहीं मिल पाएगी। इसका कारण यह है कि उनके खिलाफ अन्य मुकदमों में भी कार्रवाई चल रही है, और उन मामलों में अभी तक उन्हें कानूनी राहत नहीं मिली है। ऐसे में जब तक बाकी मुकदमों में भी उन्हें जमानत नहीं मिल जाती, तब तक उनकी जेल से रिहाई संभव नहीं है।
नगरफोर्ट थाने में दर्ज इस FIR में पुलिस पहले ही जांच पूरी कर चालान दाखिल कर चुकी है, जिससे हाईकोर्ट ने यह माना कि अब नरेश मीणा को और अधिक हिरासत में रखने का औचित्य नहीं रह गया है। कोर्ट के आदेश के बाद उनके समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में राहत की भावना देखी गई, हालांकि यह भी स्पष्ट है कि कानूनी लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
यह मामला न केवल एक राजनीतिक व्यक्ति से जुड़ा है बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों की सुरक्षा, गरिमा और निष्पक्षता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नरेश मीणा अन्य मामलों में कब तक राहत प्राप्त कर पाते हैं और क्या वे जल्द ही राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से लौट पाते हैं या नहीं।