नाहरगढ़ की सड़क से उठी चेतावनी की पुकार
जयपुर के नाहरगढ़ क्षेत्र में कल शाम हुई दर्दनाक घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया। एक बेकाबू कार की टक्कर से तीन निर्दोष लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। यह सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं थी, बल्कि एक गहरी सामाजिक लापरवाही की निशानी थी।
सड़कों पर दौड़ती अमीरी की लापरवाही
बीते वर्षों में जयपुर ही नहीं, देश के अन्य शहरों में भी ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जहाँ तेज रफ्तार और बेकाबू गाड़ियाँ आम जनता के लिए खतरा बन चुकी हैं। कई बार ये गाड़ियाँ उन लोगों के हाथों में होती हैं, जो दौलत और ताकत के नशे में चूर होते हैं। वे सड़कों को मानो अपनी जागीर समझते हैं, और पैदल चलने वाले लोग उन्हें कीड़े-मकोड़े की तरह लगते हैं। नियमों की अवहेलना, रफ्तार का मद और कानून का डर न होना इन घटनाओं की जड़ में है।
विरोध की लपटें बनेंगी बदलाव की लौ
नाहरगढ़ में हुए विरोध प्रदर्शन को केवल स्थानीय आक्रोश न मानें, यह एक चेतावनी है। यह विरोध इस बात का संकेत है कि अब लोग चुप नहीं बैठेंगे। अब हर हादसे को “दुर्घटना” कहकर नहीं टाला जा सकता। यह आंदोलन उस सामूहिक चेतना का हिस्सा बन सकता है, जो कानूनों को सख्त करने, ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने और विशेष रूप से रईस और रसूखदार लोगों की जवाबदेही तय करने की माँग कर रहा है।
जिम्मेदारियों की गाड़ी कब चलेगी नियम की पटरी पर
हर हादसे के बाद कुछ दिन शोक और फिर पुरानी लय। यही चक्र अब तोड़ना होगा। सरकार, प्रशासन और समाज – तीनों को अब गंभीरता से सोचना होगा कि आखिर सड़कों पर कानून की पकड़ कमजोर क्यों हो रही है। सीसीटीवी, ट्रैफिक कंट्रोल और कठोर दंड नीति को केवल कागज़ों में नहीं, ज़मीन पर उतारना होगा।