जालौर, राजस्थान: जालौर जिले के रानीवाड़ा उपखंड के मालवाड़ा गांव से एक बेहद संवेदनशील और चिंताजनक मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। गांव की कई लड़कियों को अश्लील फोटो और आपत्तिजनक वीडियो के माध्यम से ब्लैकमेल किए जाने की घटना सामने आई है। इस मामले में तीन युवकों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन स्थानीय लोग मानते हैं कि यह महज शुरुआत है और पूरे रैकेट का पर्दाफाश अब तक नहीं हुआ है।
घटना की जानकारी
पुलिस ने जिन तीन युवकों को गिरफ्तार किया है मोहम्मद समीर (24), मोहम्मद अमन (24) और रोहित कुमार (25) ये सभी मालवाड़ा के निवासी हैं। पुलिस ने बीपीएसएस की धारा 126 और 170 के तहत मामला दर्ज किया है। थाना अधिकारी दीप सिंह चौहान ने बताया कि युवकों पर अशांति फैलाने और असामाजिक गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। लेकिन वास्तविकता इससे कहीं अधिक गंभीर है। ग्रामीणों और स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि इन आरोपियों के मोबाइल फोन से कई लड़कियों के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बरामद किए गए हैं, जिन्हें सोशल मीडिया या मैसेजिंग ऐप्स के जरिए वायरल भी किया गया था। इन सामग्रियों का इस्तेमाल कर लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनसे मनचाहे कार्य करवाए गए।
पुलिस कार्रवाई पर उठते सवाल
पुलिस ने इस मामले को सिर्फ “शांति भंग” और “सामाजिक अशांति” के दायरे में रखकर गिरफ्तारी की है, जबकि यह सीधा-सीधा महिला सुरक्षा, साइबर अपराध और यौन उत्पीड़न से जुड़ा मामला है। अब तक किसी भी लड़की की ओर से थाने में औपचारिक रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई गई है, लेकिन इसकी वजह डर, सामाजिक दबाव और बदनामी का भय हो सकता है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन लगातार सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि मोबाइल में जो सामग्री मिली है, उससे यह साफ होता है कि लंबे समय से सुनियोजित रूप से लड़कियों को जाल में फंसाकर ब्लैकमेल किया गया। कुछ वीडियो इंटरनेट पर भी अपलोड किए गए हैं।
आरोपियों के पीछे बड़े रैकेट की आशंका
इस पूरे घटनाक्रम ने यह संदेह और गहरा कर दिया है कि यह केवल तीन लोगों की करतूत नहीं, बल्कि एक संगठित ग्रूमिंग गैंग या साइबर सेक्सटॉर्शन रैकेट का हिस्सा हो सकता है। ग्रामीणों का दावा है कि आरोपी केवल माध्यम हैं और इनके पीछे बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है, जो क्षेत्र की भोली-भाली लड़कियों को निशाना बना रहा है। इस नेटवर्क की पहचान और पूरी सच्चाई सामने लाने के लिए मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ की गहन फॉरेंसिक जांच अत्यंत आवश्यक है। सिर्फ सतही गिरफ्तारी से न्याय संभव नहीं है।
ग्रामीणों में गुस्सा, सरकार और महिला आयोग से मांगें
इस पूरे घटनाक्रम से मालवाड़ा गांव और आसपास के क्षेत्रों में भारी रोष और आक्रोश है। ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे लोगों की वजह से क्षेत्र में माहौल अस्थिर हो गया है और लड़कियों का स्कूल-कॉलेज जाना तक मुश्किल हो गया है। कई लड़कियाँ जो डर के कारण चुप हैं, अब मनोवैज्ञानिक दबाव में हैं। लोगों ने सरकार से इस मामले में SIT जांच या उच्च स्तरीय जांच की मांग की है ताकि पूरा सच सामने आ सके और असली दोषियों को सजा मिले। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) और राष्ट्रीय महिला आयोग से भी इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने की अपील की जा रही है। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर व्यापक जन रोष देखा जा रहा है।
क्या कहती है कानून व्यवस्था और आगे की राह?
राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं और यह मामला इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार तकनीक का दुरुपयोग कर लड़कियों को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। यदि इस तरह के मामलों में पुलिस की कार्रवाई कमजोर होती रही, तो यह सिस्टम पर से विश्वास खत्म कर देगा। आरोपियों के मोबाइल और अन्य डिजिटल उपकरणों की विशेषज्ञों द्वारा जांच कराई जाए। पीड़ित लड़कियों की पहचान गुप्त रखकर उन्हें मनोवैज्ञानिक और कानूनी सहायता दी जाए। मामले को साइबर क्राइम, आईटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट जैसी गंभीर धाराओं के तहत दर्ज किया जाए। रानीवाड़ा के मालवाड़ा गांव में घटित यह कांड न केवल स्थानीय अपराध है, बल्कि यह एक सामाजिक चेतावनी भी है। यदि समय रहते सरकार, प्रशासन और पुलिस इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं करते, तो आने वाले समय में यह एक महामारी की तरह फैल सकता है। इसलिए अब वक्त आ गया है कि लड़कियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सख्त कदम उठाए जाएं, दोषियों को कड़ी सजा मिले, और समाज में यह संदेश जाए कि ऐसी घिनौनी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।