जालौर जिले के रायथल गांव में राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने नियमों का उल्लंघन करने पर यादव ईंट भट्ठा को सील कर दिया। साथ ही मौके पर रखी ईंटों को भी जब्त किया गया। जिले में ऐसे 19 और ईंट भट्ठों की पहचान हुई है, जिन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
ईंट भट्ठे कैसे चलते हैं?
ईंट भट्ठों में कच्ची मिट्टी की ईंटों को खुले में जमा किया जाता है, फिर उन्हें बड़े-बड़े चूल्हों (भट्ठों) में लकड़ी, कोयला या कचरा जलाकर पकाया जाता है। इनमें अधिकतर भट्ठे बिना लाइसेंस और प्रदूषण नियंत्रण सिस्टम के चलते हैं, जिससे भारी धुआं निकलता है।
मजदूरों का हाल
अधिकतर मजदूर गरीब या प्रवासी होते हैं, जिन्हें न्यूनतम मजदूरी भी नहीं दी जाती। उन्हें बिना किसी सुविधा के गर्मी-धूप में लंबे समय तक काम कराया जाता है। बच्चों और महिलाओं से भी काम लिया जाता है, जो कानूनन गलत है। मजदूरों को काम छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाती, जिससे यह बंधुआ मजदूरी जैसी स्थिति बन जाती है।
प्रदूषण का असर
ईंट भट्ठों से निकलने वाला काला धुआं वातावरण में PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कण छोड़ता है। एक औसत भट्ठा रोज़ाना 15 से 20 किलो तक प्रदूषक गैसें छोड़ सकता है। ये गैसें सांस, आंख और त्वचा से जुड़ी बीमारियों को बढ़ाती हैं।सरकार ने अब इन अवैध ईंट भट्ठों पर सख्ती शुरू कर दी है। स्थानीय लोगों और मजदूरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए प्रदूषण नियमों का पालन करना ज़रूरी है। उम्मीद है कि बाकी 19 भट्ठों पर भी जल्दी कार्यवाही होगी।