जयपुर: राजस्थान में एक बार फिर गुर्जर समाज की ओर से आरक्षण को लेकर आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है। कोटपुतली, शाहपुरा, विराटनगर, दूदू और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है, जिससे स्थिति की संवेदनशीलता स्पष्ट होती है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब गुर्जर समाज को पहले से ओबीसी और एमबीसी श्रेणी में कुल मिलाकर लगभग 22% से 26% तक आरक्षण मिल रहा है, तो फिर आंदोलन क्यों?
गुर्जर समाज को वर्तमान में कौन सा आरक्षण मिलता है?
राजस्थान में गुर्जर समाज को दो प्रकार के आरक्षण का लाभ मिलता है
1. ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के तहत – 21%
गुर्जर समुदाय ओबीसी सूची में शामिल है और सभी ओबीसी जातियों के साथ यह 21% आरक्षण साझा करता है।
2. एमबीसी (अत्यंत पिछड़ा वर्ग) के तहत – 5% (2019 से)
गुर्जरों और चार अन्य जातियों (बंजारा, गाडिया लोहार, रैबारी, गडरिया) को 2019 में 5% एमबीसी आरक्षण दिया गया था। हालांकि यह आरक्षण अब तक पूरी तरह से कानूनी रूप से सुरक्षित नहीं हो पाया है। इस प्रकार, कागज़ पर तो गुर्जर समाज को लगभग 26% आरक्षण मिल सकता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।
तो फिर आंदोलन क्यों?
1. आरक्षण का पूर्ण लाभ नहीं मिल रहा
गुर्जर नेताओं का कहना है कि एमबीसी कोटा भर्ती परीक्षाओं में ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है। कई विभागों में एमबीसी पदों की भर्ती नहीं हो रही, और जहां हो रही है वहां असमान वितरण की शिकायत है।
2. न्यायिक संरक्षण की कमी
एमबीसी का 5% आरक्षण संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि यह आरक्षण कानूनन चुनौती के दायरे में है। गुर्जर समाज चाहता है कि इसे संवैधानिक सुरक्षा दी जाए, जिससे कोर्ट में इसे रोका न जा सके।
3. आठ जिलों में लागू नहीं है आरक्षण
राज्य के आठ जनजातीय उप-योजना (TSP) जिलों जैसे बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर में गुर्जर युवाओं को एमबीसी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा। समाज की मांग है कि यह आरक्षण राज्यभर में समान रूप से लागू किया जाए।
4. लंबित भर्तियों को पूरा किया जाए
गुर्जर आंदोलनकारी मांग कर रहे हैं कि रीट, पटवारी, पुलिस भर्ती जैसी परीक्षाओं में आरक्षित पदों की भर्ती तुरंत पूरी की जाए, और एमबीसी कोटे के तहत लंबित पद भरे जाएं।
5. नियुक्त कर्मचारियों का नियमितीकरण
पिछले वर्षों में एमबीसी कोटे के तहत नियुक्त कर्मचारियों को अब तक नियमित नहीं किया गया है। इसके अलावा, उन्हें पदोन्नति (promotion) का लाभ भी नहीं मिल पा रहा।
6. पुराने आंदोलनों में मारे गए लोगों को न्याय
2007–2010 के दौरान हुए आंदोलनों में मारे गए गुर्जर युवाओं के लिए मुआवजा, शहीद का दर्जा, और विरोध के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग भी प्रमुख है।
सरकार की स्थिति
सरकार ने आश्वासन दिया है कि 5% एमबीसी आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की प्रक्रिया जारी है, लेकिन गुर्जर समाज इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं है। कई बार लिखित समझौते होने के बावजूद वास्तविक क्रियान्वयन में देरी ही समाज की नाराज़गी की मुख्य वजह है। गुर्जर आंदोलन केवल अधिक आरक्षण की मांग नहीं है, बल्कि पहले से दिए गए आरक्षण को पूर्ण और निष्पक्ष रूप से लागू करने की लड़ाई है। समाज चाहता है कि आरक्षण केवल कागजों पर न रहे, बल्कि सरकारी नौकरी और शिक्षा में उसका व्यावहारिक लाभ मिल सके। यदि सरकार इस बार भी ठोस कदम नहीं उठाती, तो यह आंदोलन और अधिक व्यापक रूप ले सकता है।