राजस्थान के सीकर जिले में हाल ही में सामने आए एक प्रस्ताव ने पर्यावरण प्रेमियों को चिंता में डाल दिया है। जानकारी के अनुसार, जिले के एक क्षेत्र में पेट्रोल पंप निर्माण के लिए दर्जनों पेड़ काटने की योजना बनाई जा रही है। यह स्थिति उस समय और अधिक चिंताजनक हो जाती है जब राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर पौधारोपण और जागरूकता अभियानों का संचालन कर रहे हैं।
पेट्रोल पंप जैसी आधारभूत सुविधाओं की आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन क्या यह विकास उस कीमत पर होना चाहिए, जहां हरियाली और जीवनदायिनी वृक्षों का नाश हो? पेड़ केवल ऑक्सीजन के स्रोत नहीं हैं, बल्कि वे मिट्टी को बांधने, गर्मी को कम करने और जैव विविधता को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता और समाजसेवी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं और वैकल्पिक स्थान तलाशने की मांग कर रहे हैं जहाँ बिना पेड़ काटे पेट्रोल पंप स्थापित किया जा सके। जनता से भी अपील की जा रही है कि वे अपनी आवाज़ उठाएं और हरियाली को बचाने में प्रशासन का मार्गदर्शन करें।
विकल्प उपलब्ध हों, तो हरियाली की बलि क्यों दी जाए?
सीकर जिले में एक पेट्रोल पंप के निर्माण के लिए हरे-भरे पेड़ों को काटने की योजना का स्थानीय जनता ने कड़ा विरोध किया है। पर्यावरण प्रेमियों, समाजसेवियों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब जिले में ऐसे कई क्षेत्र उपलब्ध हैं जहाँ बिना एक भी पेड़ काटे पेट्रोल पंप बनाया जा सकता है, तो फिर हरियाली का नाश क्यों? लोगों का स्पष्ट मत है “हम विकास के विरोध में नहीं हैं, लेकिन विकास और प्रकृति दोनों का संतुलन आवश्यक है।”
स्थानीय नागरिकों का सुझाव है कि जिला प्रशासन और भूमि विभाग को मिलकर एक सर्वे करवाना चाहिए, जिसमें ऐसे स्थानों की पहचान की जाए जहाँ पंप निर्माण के लिए खुली, गैर-वनभूमि (non-forest land) उपलब्ध हो। इसके साथ ही यह भी मांग की जा रही है कि पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) और जन-सुनवाई की प्रक्रिया पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हो। जनता की अपील है “जहाँ पेड़ कटेंगे, वहाँ हम चुप नहीं बैठेंगे। सरकार और प्रशासन से निवेदन है कि वैकल्पिक जगह तलाशें, जिससे विकास भी हो और पेड़ भी बचें।”