बाड़मेर: 9 मई को भारत ने एक खास कदम उठाते हुए जैसलमेर से अजमेर तक 9 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के चूजों को सुरक्षित तरीके से स्थानांतरित किया। ये कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि जैसलमेर पाकिस्तान सीमा से सिर्फ 10 किमी दूर है और हाल ही में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। ये चूजे जैसलमेर के रामदेवरा स्थित ब्रीडिंग सेंटर में थे। 7 मई को भारत ने कश्मीर के पहलगाम में 26 भारतीयों की मौत के जवाब में पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया, जिसके कारण चूजों को खतरा महसूस हुआ।
वन्यजीव संस्थान (WII) के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुतर्थ दत्ता ने बताया कि सुरक्षा को देखते हुए 8 मई को चूजों को अजमेर भेजा गया। चूजों की उम्र 5 से 20 दिन के बीच है और इन्हें विशेष सस्पेंशन वाहनों में ले जाया गया ताकि उन्हें किसी तरह की चोट न लगे। साथ में प्रशिक्षित टीम भी भेजी गई।फिलहाल इन चूजों को अजमेर जिले के अरवर गांव में रखा गया है, जहां पहले से ही लेसर फ्लोरिकन संरक्षण केंद्र है। यहां सभी जरूरी सुविधाएं हैं, जो संवेदनशील पक्षियों की देखभाल के लिए जरूरी होती हैं।
दत्ता ने कहा कि अगर हालात सामान्य नहीं हुए तो इन चूजों को वहीं स्थायी रूप से रखा जा सकता है। डेजर्ट नेशनल पार्क के उप वन संरक्षक बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि इस पर विचार चल रहा है और जल्द ही फैसला लिया जाएगा। अरवर में लेसर फ्लोरिकन के लिए बना केंद्र भी सफल रहा है। 2023 में यहां 11 चूजे हैच किए गए थे, जो भारत में पहली बार हुआ। इससे उम्मीद जगी है कि इन संकटग्रस्त पक्षियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या भी देश के प्रजनन कार्यक्रम के तहत तेजी से बढ़ रही है। पिछले दो वर्षों में इनकी संख्या दोगुनी हो गई है। इस साल 9 मई को 18वें चूजे का जन्म हुआ, जिनमें से 9 कृत्रिम गर्भाधान से पैदा हुए यह भारत के पक्षी संरक्षण में एक बड़ी उपलब्धि है। अब तक इस कार्यक्रम के तहत कुल 62 गोडावण पाले जा चुके हैं। इनमें 29 जैसलमेर के रामदेवरा केंद्र में, 24 सैम केंद्र में और 9 अब अजमेर के अरवर केंद्र में हैं।