जालोर: जिला पुलिस ने अवैध शराब तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान में दो बड़ी कार्रवाई करते हुए अंग्रेजी शराब और बीयर के कुल 140 कार्टन बरामद किए और तस्करी में प्रयुक्त दो वाहन भी जब्त किए। इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट हो गया है कि सीमा-क्षेत्र में थानेदारियों का सतर्क रहना जरूरी है, लेकिन साथ ही नीति-निर्माताओं को अलग-अलग देशों में अपनाए गए सफल मॉडल से सीखकर अपने ढांचे को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
दो कार्रवाई, बड़ी सफलता
पुलिस ने पहली कार्रवाई में दक्षिणी इलाक़े में नाके पर रुकवाए गए एक ट्रक से अंग्रेजी शराब के 70 कार्टन बरामद किए। वाहन चालक की पहचान गुजरात रजिस्ट्रेशन वाले ट्रक ड्राइवर के रूप में हुई, जो भारी मात्रा में शराब लाई जा रही थी। चालक मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने वाहन जब्त कर उसकी जाँच शुरू कर दी है। दूसरी कार्रवाई जिले के एक अन्य नाके पर हुई, जहां बीयर के 60 कार्टन कार्टन एक इनोवा में देखे गए। टीम ने वाहन रोककर तलाशी ली, तो चालक और उसके साथी घबरा गए, लेकिन पुलिस ने दबदबा दिखाते हुए दोनों को हिरासत में लिया। पूछताछ में यह बात सामने आई कि वे शराब की कालाबाज़ारी कर रिटेल शॉप्स में महंगे दामों पर बेचने वाले गिरोह के सदस्य हैं।
सरकारी नियंत्रण, पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी से ही तस्करी पर स्थायी रोक संभव
इन दोनो अभियानों में कुल मिलाकर 140 कार्टन अंग्रेजी शराब और बीयर जब्त हुई, जिनकी बाजार अनुमानित कीमत करोड़ों में है। साथ ही, अवैध तस्करी में प्रयोग हो रहे दो वाहन भी पुलिस के हवाले कर दिए गए हैं। इस संबंध में पुलिस अधीक्षक ने कहा, “जालोर पुलिस अवैध शराब तस्करी रोकने के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। सीमावर्ती इलाक़ों पर निरंतर नाके लगाए जा रहे हैं और गुप्त सूचनाओं की सहायता से ऑपरेशन तेज किए जा रहे हैं।”
देश-विदेश के सफल मॉडल और हमारी चुनौतियाँ
अवैध शराब तस्करी रोकने के लिए सिर्फ पड़े-लड़े अभियानों से काम नहीं चलेगा। नीति-निर्माताओं को यह जानना भी जरूरी है कि दुनिया के कुछ देशों ने किस तरह शराब बिक्री और वितरण को नियंत्रित कर तस्करी और कालाबाज़ारी पर अंकुश लगाया है:
1. स्वीडन (Systembolaget):
सरकार के स्वामित्व वाले स्टोर नेटवर्क Systembolaget के तहत शराब की बिक्री की अनुमति है। इसमें निजी विक्रेता पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। बिक्री समय सीमित, सख्त आयु सत्यापन, और उच्च कराधान के चलते शराब की लत कम हुई और सरकारी राजस्व भी मजबूत हुआ।
2. कनाडा (LCBO):
ओंटारियो प्रांत की LCBO (Liquor Control Board of Ontario) पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में है। पारदर्शी टेंडर, समय-सीमित बिक्री, और केंद्रीकृत स्टॉक प्रबंधन ने अवैध कारोबार को रोका है।
3. नॉर्वे व फिनलैंड (Vinmonopolet, Alko):
दोनों देशों में सिर्फ सरकारी मोनोपोली के माध्यम से ही शराब की बिक्री की इजाज़त है। इससे अवैध रूप से शराब की तस्करी या कालाबाज़ारी अत्यंत कठिन हो जाती है।
इन मॉडलों में मुख्य तत्व ‘सरकारी नियंत्रण + पारदर्शिता + समयबद्ध बिक्री’ हैं, जो तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने में कारगर साबित होते हैं।
दिल्ली मॉडल: सीख और सतर्कता
वर्ष 2021–22 में दिल्ली सरकार ने शराब नीति में बड़े बदलाव किए, जिसमें खुदरा बिक्री को निजी क्षेत्र को सौंपा गया और सरकारी विक्रेताओं को पीछे रखा गया। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार कम करना, राजस्व बढ़ाना और ग्राहक अनुभव बेहतर बनाना था।
लेकिन इन नीतियों में:
लाइसेंस वितरण और नवीनीकरण प्रक्रियाएँ पारदर्शी नहीं रहीं।
CBI/ED की जांच शुरू हो गई और कई बड़े घोटाले सामने आए।
नीति वापसी करते हुए वापस पुराने ढर्रे की ओर जाना पड़ा।
इसलिए निष्कर्ष यही निकाला जा सकता है कि दिल्ली मॉडल को सीधा अन्य राज्यों में लागू करना अनुशंसित नहीं; बल्कि इसमें हुई गलतियों से सीख लेना ज़रूरी है।
भविष्य के लिए स्मार्ट सुझाव
अवैध तस्करी रोकने के लिए राज्य सरकारें निम्नलिखित कदम उठा सकती हैं:
IT-ड्रिवेन ट्रैकिंग:
प्रत्येक शराब की बोतल पर क्यूआर कोड या RFID टैग लगाकर आपूर्ति श्रृंखला में डिजिटली ट्रैकिंग सुनिश्चित की जाए।
ऑनलाइन पारदर्शी टेंडरिंग:
लाइसेंस जारी करने और नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह ओपन पोर्टल पर की जाए, जिससे आम नागरिक भी निगरानी रख सकें।
थर्ड पार्टी ऑडिट व सोशल अडिट:
गैर-सरकारी संगठन, मीडिया और नागरिक समूहों को नीति क्रियान्वयन और बिक्री के आंकड़ों का ऑडिट करने की अनुमति हो।
गोपनीय शिकायत तंत्र (Whistleblower Channel):
भ्रष्टाचार या अवैध बिक्री की सूचनाएँ बिना डर-डराकर प्रशासन तक पहुंचाने की सुविधा हो।
जालोर पुलिस की हालिया कार्रवाई से अवैध शराब तस्करी पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन इसके साथ ही नीति-निर्माण में वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाएँ अपनाना ज़रूरी है। “सरकारी नियंत्रण + पारदर्शी सिस्टम + तकनीकी निगरानी” का मिश्रित मॉडल ही शराब तस्करी और कालाबाज़ारी को जड़ से समाप्त कर सकता है। राजनेताओं, प्रशासन और समाज को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, तभी तस्करों का नेटवर्क तोड़ना संभव होगा और आम जनता की भलाई सुनिश्चित होगी।