जयपुर, राजस्थान: राजधानी जयपुर के बीचों-बीच स्थित 100 एकड़ क्षेत्र में फैला ‘ढोल का बध’ नामक घना जंगल अब बड़े पैमाने पर कटाई का सामना कर रहा है। राजस्थान सरकार की योजना के तहत इस इलाके में यूनिटी मॉल, फिनटेक पार्क्स और लग्ज़री होटलों का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना को विकास की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है, लेकिन पर्यावरणविदों, स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह असल में प्रकृति का विनाश है जो शहर की जलवायु और पारिस्थितिकी को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।
ढोल का बध का पर्यावरणीय महत्व
ढोल का बध केवल एक जंगल नहीं है, बल्कि यह जयपुर के लिए जीवनदायिनी है। इस जंगल में लगभग 2400 देशी पेड़ हैं, जिनमें से कई प्रजातियां स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इसके अलावा यहां 60 से अधिक औषधीय पौधे और 85 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां निवास करती हैं। ये पेड़ और पौधे न केवल शहर को शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी मदद करते हैं। इस जंगल से हर साल लगभग 250 टन ऑक्सीजन उत्पन्न होती है।
यह जंगल स्थानीय तापमान को 2 से 5 डिग्री सेल्सियस तक कम करता है, जो जयपुर जैसे गर्म इलाकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही, ढोल का बध जयपुर के भूजल स्तर को 30% तक रिचार्ज करने में भी सहायक है। जल संरक्षण के इस महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे काटना शहर के लिए जल संकट को और गंभीर बना सकता है।
राजनीतिक विरोध और वर्तमान स्थिति
2021 में जब यह परियोजना पहली बार सामने आई थी, तब कई राजनेताओं और स्थानीय नेताओं ने इसका जोरदार विरोध किया था। उस समय के कई वादे और आश्वासन आज बदल गए हैं और वही नेता अब इस परियोजना को आगे बढ़ाने में लगे हैं। राजनीतिक परिस्थितियां बदली हैं, लेकिन जलवायु संकट और पर्यावरणीय चुनौतियां जस की तस बनी हुई हैं। राजस्थान आज भी ऐतिहासिक तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है और गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे में यह जंगल काटना पर्यावरणीय बुद्धिमत्ता के खिलाफ कदम माना जा रहा है।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की मांग
पर्यावरण विशेषज्ञों और नागरिक समूहों ने सरकार से अपील की है कि इस जंगल को पूरी तरह से संरक्षित किया जाए और इसे एक जैव विविधता पार्क में तब्दील किया जाए। उनका कहना है कि यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगा, बल्कि जयपुर के पर्यटन क्षेत्र को भी बढ़ावा देगा। जैव विविधता पार्क के रूप में यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण बन सकता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचा सकता है।
संकट और समाधान की आवश्यकता
वन और हरे-भरे क्षेत्र न केवल प्राकृतिक संपदा हैं, बल्कि वे किसी भी शहर की जीवनरेखा होते हैं। एक बार ये नष्ट हो जाएं तो इन्हें पुनः प्राप्त करना अत्यंत कठिन होता है। ढोल का बध का संरक्षण, जल संरक्षण, और तापमान नियंत्रण के लिए बेहद आवश्यक है। यदि इसे नुकसान पहुंचाया गया, तो जयपुर जैसे तेजी से बढ़ते शहर को लंबे समय तक इसके पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्परिणाम भुगतने होंगे।
ढोल का बध जंगल को बचाना आज जयपुर के नागरिकों और सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। यह केवल पर्यावरण संरक्षण का मामला नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित करने का प्रश्न है। विकास और प्रगति आवश्यक हैं, लेकिन यह तब तक सही हैं जब तक वे पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाए रखते हैं।
जयपुर की जनता अब आवाज उठा रही है अपने शहर के दिल में बसे इस हरे-भरे जंगल को बचाने के लिए, जो उनके जीवन, स्वास्थ्य और भविष्य से जुड़ा हुआ है। यदि हम अभी कदम नहीं उठाएंगे तो यह हरा-भरा जंगल एक दिन सिर्फ एक याद बनकर रह जाएगा।