कोटा शहर में साइबर अपराध के बढ़ते मामलों के बीच बोरखेड़ा थाना पुलिस ने एक बार फिर अपनी मुस्तैदी और तकनीकी दक्षता का परिचय देते हुए साइबर ठगी की दो अलग-अलग घटनाओं में कुल 84,520 रुपये की राशि पीड़ितों को वापस रिफंड कराई है। यह कार्यवाही कोटा शहर की साइबर हेल्प डेस्क टीम की सतर्कता और बैंक अधिकारियों के सहयोग से संभव हो सकी।
पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन ने बताया कि राज्य स्तर पर चल रहे साइबर अपराध रोकथाम अभियान के अंतर्गत प्रत्येक थाने में साइबर हेल्प डेस्क को सक्रिय किया गया है, जिससे फ्रॉड की रोकथाम, अपराधियों की पहचान और पीड़ितों को आर्थिक राहत दी जा सके।
पहली घटना में महालक्ष्मी एनक्लेव निवासी रितेश कुमार को एक संदिग्ध लिंक मिला, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के YONO ऐप जैसा प्रतीत हो रहा था। लिंक के जरिए ओटीपी मांगा गया और उसके बाद उनके खाते से 51,000 रुपये की ठगी कर ली गई। दूसरी घटना में मन्ना कॉलोनी निवासी शफीक अहमद को ऑनलाइन कपड़ों की डिलीवरी के नाम पर 35,720 रुपये एडवांस में डलवाकर ठग लिया गया।
दोनों मामलों में पीड़ितों द्वारा साइबर पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिन्हें गंभीरता से लेते हुए एएसपी दिलीप सैनी और वृत्ताधिकारी लोकेन्द्र पालीवाल के निर्देशन में थानाधिकारी देवेश भारद्वाज ने साइबर टीम को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। कांस्टेबल प्रदीप सिंह और मुरारीलाल की सक्रियता से बैंकिंग अधिकारियों से समन्वय कर दोनों पीड़ितों की राशि होल्ड कराई गई और कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर रिफंड कराई गई।
साइबर अपराध का इतिहास
साइबर अपराधों की शुरुआत इंटरनेट के विकास के साथ ही हुई। शुरुआती वर्षों में ईमेल स्कैम, वायरस और ट्रोजन के जरिए लोगों को निशाना बनाया जाता था। 2010 के बाद डिजिटल पेमेंट और सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ ही साइबर ठगों ने नए-नए तरीके अपनाने शुरू किए। वर्तमान में फिशिंग, वीशिंग, OTP फ्रॉड, QR कोड स्कैम, फेक ऐप्स के ज़रिए धोखाधड़ी आम हो गई है।
कोटा पुलिस की अपील
कोटा पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी अज्ञात लिंक, संदेश या वीडियो कॉल पर भरोसा न करें। कोई भी वित्तीय लेन-देन करते समय सावधानी बरतें और ठगी की आशंका होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी थाने पर संपर्क करें। डिजिटल सुरक्षा में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।