मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हाल ही में दावा किया कि उनकी सरकार के 17 महीनों के कार्यकाल में एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुए पेपर लीक कांडों के आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। लेकिन युवाओं का कहना है कि पारदर्शिता केवल कैमरों और बयानों में है, जबकि जमीनी सच्चाई अब भी बहुत दूर है।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती परीक्षाओं में सिर्फ पेपर लीक ही समस्या नहीं, बल्कि OMR शीट पर छपाई की लापरवाही, नॉर्मलाइजेशन के नाम पर नंबरों में हेरफेर, और भाई-भतीजावाद जैसी व्यवस्थाएं भी ईमानदार अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं। राजस्थान में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के लिए परीक्षा सिर्फ एक टेस्ट नहीं, बल्कि उनका सपना, संघर्ष और उम्मीद होती है।
लेकिन हाल ही में हुई JTA संविदा परीक्षा में OMR शीट पर उम्मीदवारों और पर्यवेक्षकों के सिग्नेचर ब्लॉक न होने की गड़बड़ी के बाद से अभ्यर्थियों का गुस्सा फूट पड़ा है। सरकार को सिर्फ पेपर लीक रोकना ही नहीं, बल्कि भर्ती प्रक्रिया के हर चरण में पारदर्शिता, उत्तर कुंजी की निष्पक्ष समीक्षा, और OMR स्कैनिंग की निगरानी को और मजबूत करना होगा। वरना, ये विरोध सिर्फ नारों में नहीं, बल्कि सड़कों और अदालतों तक जाएगा। राज्य के युवा अब सिर्फ वादों से नहीं, परिणाम और प्रक्रिया की ईमानदारी से संतुष्ट होना चाहते हैं।