आज आयोजित हुई JTA संविदा परीक्षा में एक बड़ा तकनीकी मुद्दा सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही जानकारी के अनुसार, परीक्षा कोड WA23 के तहत जिन परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी, उनकी OMR शीट्स पर न परीक्षार्थियों के हस्ताक्षर के लिए जगह थी और न ही वीक्षकों के सिग्नेचर ब्लॉक। यह मुद्दा सामने आते ही सवालों की बौछार शुरू हो गई। बोर्ड से जुड़े जिम्मेदार अधिकारी आलोक राज ने इस मुद्दे पर स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह एक “अनजानी तकनीकी गलती” थी, जिसमें OMR शीट्स प्रिंट करते समय एक प्रिंटर से सेट WA23 में सिग्नेचर ब्लॉक्स प्रिंट नहीं हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व OMR शीट्स जो ट्रेज़री में सील करके रखी गई हैं, उनमें यह गलती नहीं है और वे सही तरीके से प्रिंट हुई हैं।
सवाल उठता है कि क्या अंदर गलत तरीके से खाली omr भर कर कुछ अभ्यर्थियों को गैरकानूनी तरीकों से आगे बढ़ाया जाएगा या नहीं?
बोर्ड अधिकारी ने यह भी बताया कि परीक्षा के बाद OMR शीट्स को परीक्षार्थियों के सामने सील किया जाता है। दो वीक्षक और दो परीक्षार्थी सील पैकेट पर हस्ताक्षर करते हैं और फिर यह लिफाफा सेंटर सुपरिटेंडेंट को सौंपा जाता है। इसके बाद केंद्र अधीक्षक इन्हें आब्जर्वर और डिप्टी सेंटर सुपरिटेंडेंट की निगरानी में गिनती करके सील कर देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है। आगे की सभी कार्यवाहियां जैसे OMR स्कैनिंग आदि, CCTV निगरानी में होती हैं, जिससे किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की संभावना खत्म हो जाती है। इसके अलावा, परीक्षार्थियों के पास OMR की कार्बन कॉपी भी होती है, जिससे मिलान संभव है।
बोर्ड का दावा है कि अटेंडेंस शीट्स पर परीक्षार्थी स्वयं अपने रोल नंबर, OMR शीट नंबर, बुकलेट नंबर, और हस्ताक्षर करते हैं, जिसे वीक्षक पुष्टि करके साइन करते हैं। इस आधार पर OMR की वैधता की पुष्टि हो सकती है। हालांकि, इस पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर आलोचना भी हो रही है और बोर्ड की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा जा रहा है कि अगर OMR शीट्स प्रिंट होने के बाद ठीक से चेक नहीं होती हैं, तो बोर्ड की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठते हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि सिग्नेचर ब्लॉक के लिए क्या 2 बीघा ज़मीन चाहिए थी?
इस पूरी स्थिति में जहाँ एक ओर बोर्ड इसे अनजानी गलती बता रहा है, वहीं दूसरी ओर पारदर्शिता और जिम्मेदारी को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। हालांकि बोर्ड यह विश्वास दिला रहा है कि किसी भी परीक्षार्थी के साथ अन्याय नहीं होगा और OMR स्कैनिंग व मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।
पूर्व में सामने आए OMR शीट्स से संबंधित प्रमुख मामले:
1. OMR शीट में छेड़छाड़ का मामला (RPSC RAS परीक्षा)
एक अभ्यर्थी ने अपनी OMR शीट की कार्बन प्रति में छेड़छाड़ की, जिससे उसकी परीक्षा निरस्त कर दी गई और उसे दो वर्षों के लिए डिबार किया गया।
2. OMR शीट्स में तकनीकी त्रुटियाँ (राजस्थान पुलिस परीक्षा)
2018 में आयोजित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में OMR शीट्स में छेड़छाड़ के आरोप में TCS के पूर्व क्षेत्रीय प्रबंधक सहित पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
3. OMR शीट्स के अनुचित भराव पर न्यायालय का रुख
राजस्थान उच्च न्यायालय ने OMR शीट्स को गलत तरीके से भरने वाले अभ्यर्थियों को राहत देने से इनकार किया, यह कहते हुए कि चयन प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है।