राजस्थान के झुंझुनूं जिले के खेतड़ी थाना क्षेत्र में एक दर्दनाक और चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसमें पुलिस हिरासत में रखे गए युवक पप्पूराम मीणा की मौत हो गई। परिजनों ने इसे सीधा “सरकारी हत्या” करार दिया है और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। मृतक के परिजन और समाज के लोग न्याय के लिए धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि पुलिस प्रशासन ने पूरे थाने के स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया है।
हिरासत में 8 दिन तक रखा, कोर्ट में नहीं पेश किया
श्योपुर (अजीतगढ़) निवासी पप्पूराम मीणा (28) को खेतड़ी पुलिस ने 6 अप्रैल को उसकी बहन के ससुराल न्याबास से गिरफ्तार किया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने चार गाड़ियों में पहुंचकर पप्पू को जबरन उठाया और थाने ले गए। इसके बाद उन्हें उससे मिलने नहीं दिया गया। 8 अप्रैल को परिजन थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने मिलने से इनकार कर दिया। 10 अप्रैल को वकील के साथ पहुंचने पर भी पुलिस ने बहाने बनाकर वापस भेज दिया।
परिजनों के मुताबिक, पप्पू को 8 दिनों तक हिरासत में रखा गया, न ही कोर्ट में पेश किया गया और न ही कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया। पुलिस ने उसे थाने में रखने की बजाय निजामपुर मोड़ चौकी के एक कमरे में बंद कर रखा। वहां पर उसे बेरहमी से पीटा गया, जिससे उसके पैरों में सूजन आ गई और वह चलने-फिरने के लायक नहीं रहा।
रिश्वत मांगने और मारपीट के गंभीर आरोप
मृतक के पिता हनुमान प्रसाद ने बताया कि पुलिस ने पप्पू को छोड़ने के लिए दो लाख रुपए की मांग की थी। यह आरोप बेहद गंभीर हैं और पुलिस के भ्रष्ट आचरण पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पप्पू पर पहले भी चोरी का एक मामूली केस था, लेकिन वह अब तक कोर्ट से सजा नहीं पाया था। इस बार पुलिस ने बिना पर्याप्त सबूत के उसे फिर से टारगेट किया और जान से मार डाला।
पुलिस का पक्ष और प्रशासन की कार्रवाई
पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए खेतड़ी थाने के थानाधिकारी समेत सभी 32 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर झुंझुनूं पुलिस लाइन भेज दिया है। एसपी ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया है और कहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, पुलिस अभी भी हिरासत में मारपीट के आरोपों से इनकार कर रही है। कार्रवाई एसपी से ऊपर के अधिकारियों द्वारा होनी चाहिए, एसपी भी शामिल हो सकता है।
समाज में उबाल, शव लेने से इनकार
पप्पू की मौत के बाद परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया है और दोषी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। आदिवासी मीणा समाज ने भी विरोध जताते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ पप्पू की नहीं, बल्कि पूरे समाज की अस्मिता पर हमला है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि पुलिस कस्टडी में मानवाधिकारों का हनन किस हद तक बढ़ चुका है। अगर इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच नहीं हुई, तो यह भविष्य में न्याय व्यवस्था पर से जनता का भरोसा डिगा सकता है।