ब्यावर, अजमेर: भारतीय जनता पार्टी द्वारा चलाए जा रहे ‘वक्फ सुधार जनजागरण अभियान’ के अंतर्गत अजमेर देहात के ब्यावर विधानसभा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस सत्र में बतौर मुख्य वक्ता राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी और केन्द्र सरकार के पूर्व मंत्री श्री कैलाश चौधरी उपस्थित रहे।
कार्यशाला की वैचारिक धारा
इस आयोजन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के नियमन, पारदर्शिता और संविधानसम्मत प्रबंधन को लेकर जनचेतना फैलाना था। वक्ताओं ने वक्फ बोर्डों के संचालन में व्याप्त अधिकार केंद्रित अपारदर्शिता, कानूनी अस्पष्टता, और धार्मिक-राजनीतिक हस्तक्षेप जैसे मुद्दों को रेखांकित किया।
प्रभुलाल सैनी का विश्लेषण
उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियां “सार्वजनिक हित की अमानत” हैं, न कि किसी विशेष वर्ग के नियंत्रण का साधन। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकारी संपत्तियों पर जनता का हक है, तो वक्फ संपत्तियों पर सिर्फ बोर्ड का एकाधिकार क्यों? “वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन की आवश्यकता इसलिए है, ताकि इसे लोकतांत्रिक, न्यायसंगत और जवाबदेह बनाया जा सके।”
कैलाश चौधरी के विचार
पूर्व केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने इस मसले को राष्ट्रहित और सामाजिक समरसता से जोड़ते हुए कहा—”वक्फ कानूनों की मौजूदा संरचना में संवैधानिक समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। यदि किसी सम्पत्ति पर राज्य या समुदाय का अधिकार है, तो उसका नियमन समान नियमों से होना चाहिए।”
9 वर्तमान अभियान धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुधार के पक्ष में है। कार्यशाला में कानूनी विशेषज्ञों, समाजसेवियों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी भाग लिया और इस बात पर सहमति बनी कि यह विषय अब केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि संविधानिक विमर्श का हिस्सा बनना चाहिए। कार्यशाला के माध्यम से यह संकेत दिया गया कि भाजपा इस विषय को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी नीति-निर्माण की दिशा में सक्रिय है, और इसे लोकसभा चुनाव 2024 के बाद के सामाजिक सुधार एजेंडे का भी हिस्सा माना जा सकता है।