नई दिल्ली/उदयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने 1.83 करोड़ रुपये के चर्चित उदयपुर घूसकांड में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है, जो राजस्थान पुलिस और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह मामला कुवैत निवासी NRI नीरज पुरबिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया, जिसमें राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर द्वारा 20 फरवरी 2025 को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस पंकज मिथल और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने याचिका पर विचार करते हुए अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप से इनकार किया, लेकिन यह स्पष्ट निर्देश दिया कि हाईकोर्ट की टिप्पणियां ट्रायल कोर्ट के अंतिम निर्णय को किसी भी प्रकार प्रभावित नहीं करेंगी। इसका सीधा असर यह होगा कि अब ट्रायल कोर्ट स्वतंत्र रूप से सभी साक्ष्यों का पुनर्मूल्यांकन कर सकेगा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह प्रकरण तब सामने आया जब नीरज पुरबिया ने राजस्थान में पुलिस अधिकारियों और कुछ निजी व्यक्तियों के खिलाफ ठगी और भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। शिकायत में उल्लेख था कि उनसे 1.83 करोड़ रुपये की जबरन वसूली की गई, जिसमें धमकियों का सहारा लिया गया। मामले की जांच कर रही ACB की दो रिपोर्टें आईं, जो आपस में विरोधाभासी थीं।