वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में पश्चिम बंगाल में हिंसा भड़क उठी है, विशेषकर मुर्शिदाबाद में हालात बेहद खराब हैं, जहां उग्र भीड़ ने पिता-पुत्र की हत्या कर दी। सोशल मीडिया पर लूटपाट और आगजनी के वीडियो वायरल हो रहे हैं। जल्द से जल्द इमरजेंसी लगाने की मांग की जा रही है क्योंकि ममता बनर्जी हाथ पर हाथ रखे बैठ गई हैं। बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ और वहां बढ़ते कट्टरपंथ का असर सीमावर्ती इलाकों में दिख रहा है। यह हिंसा केवल कानून-व्यवस्था का नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा भी लगती है। ममता सरकार पर नरमी और वोट बैंक की राजनीति के आरोप लग रहे हैं। कोलकाता हाईकोर्ट ने अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया है। पुलिस के नियंत्रण से सब बाहर होता जा रहा है। अब तक 35 पुलिसकर्मी घायल हो चुके हैं।
वक्फ बिल के खिलाफ नहीं, डायरेक्ट एक्शन डे की पुनरावृत्ति
जितेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार बंगाल में हिंसा वक्फ बिल के खिलाफ नहीं, बल्कि डायरेक्ट एक्शन डे की पुनरावृत्ति जैसी लग रही है। टारगेट वही घर बने जिन पर ‘शुभ लाभ’ या स्वस्तिक चिन्ह थे—उन्हें चिन्हित कर जलाया गया। असली मकसद हिंदुओं का पलायन और जनसंख्या संतुलन बदलना दिखता है, वक्फ बिल महज एक बहाना है। पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों के हिंदुओं को अपना घर छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। वक्फ लॉ पर प्रदर्शन के नाम पर बंगाल में हिंदुओं पर हिंसा इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदुओं के घर, मकान, दुकान लूट लिए गए। मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने पलेस्टाइन का झंडा भी फहराया।
DGP ने मुंह फेर लिया
डीजीपी राजीव कुमार ने सिचुएशन अंडर कंट्रोल कहकर मीडिया से मुंह फेर लिया और परिस्थिति SP के हाथों में देकर गाड़ी में बैठ गए। ताज़ा जानकारी के मुताबिक लोग मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित इलाके को छोड़कर जाने पर मजबूर हो रहे हैं, बूढ़े-बच्चे, महिलाओं समेत करीब 500 लोग नाव के ज़रिए नदी पार कर मालदा पहुंचे हैं।