राजस्थान के नागौर जिले में सामाजिक समरसता और भाईचारे की एक मिसाल कायम हुई, जब क्षत्रिय समाज ने दलित समाज के दूल्हे का भव्य स्वागत किया। इस ऐतिहासिक मौके पर क्षत्रिय समाज के लोगों ने न सिर्फ दूल्हे को घोड़ी पर बैठाया, बल्कि उसे अपनी पारंपरिक पगड़ी भी पहनाई और बारात को अपनी पुश्तैनी हवेली में ठहराया।
घटना एक छोटे से गांव की है, जहां दलित समाज की एक बारात गांव में पहुंची। आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में दलित बारातों को लेकर तनाव या विरोध की खबरें आती रही हैं, लेकिन इस बार क्षत्रिय समाज के लोगों ने सभी रूढ़ियों को तोड़ते हुए आगे बढ़कर दलित दूल्हे का स्वागत किया। उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार दूल्हे को पगड़ी पहनाई, जो सम्मान का प्रतीक मानी जाती है। इसके बाद दूल्हे को पूरे सम्मान के साथ घोड़ी पर बैठाया गया।
यही नहीं, बारात के स्वागत के लिए क्षत्रिय समाज ने अपनी पुश्तैनी हवेली के दरवाजे खोल दिए और पूरी बारात का आदरपूर्वक सत्कार किया। गांव के दोनों समाजों ने इस अवसर पर एकजुट होकर शादी समारोह को भाईचारे के पर्व की तरह मनाया।
इस पहल ने सामाजिक समरसता और सौहार्द की दिशा में एक प्रेरणादायक संदेश दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं समाज में बदलाव लाने का आधार बन सकती हैं और जातिगत भेदभाव को समाप्त करने में मददगार हो सकती हैं।