अजमेर: राजस्थान के अजमेर शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत करोड़ों रुपये की लागत से विकसित की गई परियोजनाएं अब विवादों के घेरे में हैं। सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इन निर्माणों को पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन मानते हुए ध्वस्तीकरण के आदेश दिए हैं, जिससे सरकारी धन के दुरुपयोग और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
विवादास्पद परियोजनाएं और उनकी लागत:
सेवन वंडर्स पार्क: अना सागर झील के किनारे स्थित इस पार्क को ₹11.12 करोड़ की लागत से 2023 में बनाया गया था। NGT ने सितंबर 2023 में इसे अवैध घोषित किया, और सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2025 में छह महीने के भीतर इसे हटाने का आदेश दिया।
फूड कोर्ट (लव कुश गार्डन): ₹7.29 करोड़ की लागत से निर्मित यह फूड कोर्ट भी अवैध निर्माण पाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे 7 अप्रैल 2025 तक ध्वस्त करने का आदेश दिया, जिसके बाद इसे तोड़ा गया।
पटेल मैदान कॉम्प्लेक्स और गांधी स्मृति उद्यान: इन परियोजनाओं पर क्रमशः ₹15.12 करोड़ और ₹7.8 करोड़ खर्च किए गए। NGT ने इन्हें भी अवैध घोषित किया और तत्काल ध्वस्तीकरण का आदेश दिया।
चौपाटी पथवे: ₹39.83 करोड़ की लागत से बना यह पथवे भी पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करता पाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे हटाने का आदेश दिया है।
प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
इन परियोजनाओं की स्वीकृति भाजपा शासनकाल में हुई, जबकि निर्माण कार्य कांग्रेस शासनकाल में पूरे हुए। अब दोनों ही दल एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने अजमेर के विकास को चार साल तक रोके रखा।
पर्यावरणीय पुनर्स्थापन की दिशा में कदम:
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि अना सागर झील के आसपास के क्षेत्र में दो नए वेटलैंड्स विकसित किए जाएं। इनमें एक 12 हेक्टेयर का फॉय सागर में और दूसरा 10 हेक्टेयर का टबीजी1 में होगा। यह निर्णय एनजीटी के आदेशों के अनुपालन में लिया गया है। अजमेर स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण ये परियोजनाएं अब ध्वस्तीकरण की कगार पर हैं और की जा रही है । यह स्थिति न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को दर्शाती है, बल्कि भविष्य में ऐसी परियोजनाओं के लिए सतर्कता और पारदर्शिता की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।
जिम्मेदार अधिकारी: स्मार्ट सिटी के पूर्व कलेक्टर और सीईओ: आरती डोगरा, विश्व मोहन शर्मा, प्रकाश राजपुरोहित, अंशदीप, डॉ. भारती दीक्षित
नगर निगम आयुक्त: हिमांशु गुप्ता, चिन्मयी गोपाल, उत्तम चौधरी, देवेंद्र कुमार, सुशील कुमार
एडीए आयुक्त: नमित मेहता, निशांत जैन, गौरव अग्रवाल, रेनू जयपाल, अक्षय गोदारा, गिरधर, ललित गोयल (कार्यवाहक), श्रीनिधि बोटी, नित्या के
इन अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियों की जांच की मांग उठ रही है, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाहियों से बचा जा सके।