राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित सांवरिया जी का मंदिर “सांवलिया सेठ” के नाम से पूरे भारत में प्रसिद्ध है। चतुर्दशी के अवसर पर खोले गए मासिक दानपात्र ने पहले दिन अब तक के सबसे बड़े दान राशि 10 करोड़ का चढ़ावा दर्ज किया।
सुरक्षाकर्मियों की मौजूदगी में दान की राशि गिनी गई
श्री सांवलिया जी मंदिर मंडल की सीईओ प्रभा गौतम और मंदिर मंडल के प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में भगवान श्री सांवलिया सेठ की राजभोग आरती के बाद दानपात्र खोला गया। सुरक्षाकर्मियों की मुस्तैदी में 10 करोड़ दान राशि को गिना गया। बड़ी सुरक्षा के साथ, जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और कर्मचारी भी कड़ी निगरानी रखते हैं। जब तक दान राशि की गिनती पूरी नहीं हो जाती, मंदिर के हर कर्मचारियों को भी जांच की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
क्या है मान्यता?
किंवदंती है कि 1840 में भोलाराम गुर्जर नामक एक ग्वाला ने सपने में देखा था कि बागुंड गाँव के छापर में तीन दिव्य मूर्तियाँ दबी हुई हैं, जो बाद में भगवान कृष्ण की मूर्तियों के रूप में खोजी गई थीं। मंदिर के प्रति भक्तों का गहरा विश्वास और संबंध है, और यह मंदिर चित्तौड़गढ़ में एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है।
कब होती है दान राशि की गिनती?
हर महीने की अमावस्या से पहले चौदस तिथि को मंदिर का भंडार कक्ष खोला जाता है और इसमें जमा हुए चढ़ावे की गिनती की जाती है। माना जाता है कि भक्त अपनी मुराद पूरी होने पर मंदिर में सांवलिया सेठ को उनकी हिस्सेदारी निवेदित करते हैं।