राजस्थान में मुद्रा योजना से लाखों लोग लाभान्वित हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। इसके साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समूहों को स्वरोजगार के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने में भी यह योजना काफी लाभकारी साबित हुई है।
राजस्थान में 2.26 लाख लोगों को मिला इस योजना का लाभ
पिछले एक दशक में इस योजना के तहत राज्य के 2 करोड़ 26 लाख से अधिक लोगों को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण दिया गया। इनमें से 780 हजार से अधिक लोगों को तरुण श्रेणी में लाभ मिला है। इन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने और विस्तार करने के लिए आसान शर्तों पर बिना किसी गारंटी के 10 लाख तक का ऋण दिया गया। इस योजना ने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है और लाखों युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया है। साथ ही महिलाओं और कमजोर वर्गों को वित्तीय स्वतंत्रता दी गई है। इस योजना ने राज्य में लघु और मध्यम उद्यमों के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है।
पीएम मुद्रा योजना पर क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर सोशल मीडिया पोस्ट पर श्री मोदी ने कहा कि इस योजना ने अनेक लोगों के सपनों को साकार किया है। पहले अनदेखी का शिकार लोगों को सशक्त बनाया है और वित्तीय सहायता के साथ आगे बढ़ने का अवसर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा योजना के लाभार्थियों में से पचास प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के समुदायों से हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं।
क्या हैं प्रधानमंत्री मुद्रा योजना
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) 8 अप्रैल 2015 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 10 लाख रुपये तक के ऋण उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई एक योजना है। 20 लाख (उन उद्यमियों के लिए जिन्होंने ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत पिछले ऋण लिए हैं और सफलतापूर्वक चुकाए हैं) गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों के लिए। इन ऋणों को PMMY के अंतर्गत मुद्रा ऋण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये ऋण वाणिज्यिक बैंक, RRB, लघु वित्त बैंक, MFI और NBFC द्वारा दिए जाते हैं।PMMY के तत्वावधान में, MUDRA ने लाभार्थी सूक्ष्म इकाई/उद्यमी की वृद्धि/विकास और वित्त पोषण की जरूरतों के चरण को दर्शाने के लिए ‘शिशु’, ‘किशोर’, ‘तरुण’ और ‘तरुणप्लस’ नामक चार उत्पाद बनाए हैं।