अहिल्याबाई होल्कर की जन्म और मृत्यु की तिथि को लेकर इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के बीच लंबे समय से मतभेद बना हुआ है। विभिन्न ग्रंथों और शोध पत्रों में अलग-अलग तिथियां प्रस्तुत की गई हैं, जिससे उनकी वास्तविक जन्मतिथि को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।अहल्याबाई के जन्म और मृत्यु की तिथि की गुत्थी: एक ऐतिहासिक विश्लेषण
इतिहास में दर्ज जन्म और मृत्यु तिथियां
1. पंडित धर्मनारायण का ग्रंथ: इसमें अहिल्याबाई की वंशावली दर्ज थी, लेकिन इसकी कोई भी मूल प्रति वर्तमान में उपलब्ध नहीं है। गोविंदराव सारंगपाणी द्वारा 1881 में इस ग्रंथ की नकल तैयार की गई, जो कैलाश चंद्र घनश्याम पांडे के संग्रह में है। इस ग्रंथ के अनुसार, अहिल्याबाई की मृत्यु 1795 में हुई और उनकी आयु 60 वर्ष थी। हालांकि, यह ग्रंथ उनकी जन्मतिथि का सटीक उल्लेख नहीं करता, लेकिन जन्म वर्ष 1735 माना गया है।
2. 2018 का शोध संगोष्ठी निष्कर्ष: देवी अहिल्याबाई होलकर एवं मालवा पर आयोजित शोध संगोष्ठी के अनुसार, उनकी त्रिशताब्दी (300वां जन्मदिन) वर्ष 2033 में मनाई जानी चाहिए। इसका मतलब हुआ कि उनका जन्म 1733 में हुआ होगा। इसके विपरीत, 40 वर्ष पूर्व इसी विभाग द्वारा प्रकाशित फोल्डर में उनकी मृत्यु 24 सितंबर 1795 दर्ज है। इस हिसाब से उनकी जन्मतिथि 1733 और आयु 70 वर्ष 1 माह 22 दिन बताई जाती है।
3. अन्य स्रोत और मतभेद: कुछ अन्य शोधों में उनकी जन्मतिथि 23 मई 1725 भी बताई जाती है। वहीं, पेशवा दफ्तर में पाए गए पत्रों के अनुसार, अहिल्याबाई और खंडेराव होलकर का विवाह 1738 में हुआ था, और विवाह के समय उनकी आयु 8 वर्ष थी। इससे यह अनुमान लगाया जाता है कि उनका जन्म 1730 में हुआ होगा और उनकी कुल आयु 66 वर्ष रही होगी।
इतिहास में अनिश्चितता और शोध की आवश्यकता
इतिहासकारों के बीच मतभेद यह दर्शाते हैं कि भारत के ऐतिहासिक शोध कार्यों में अभी भी गहन अध्ययन और नई खोजों की आवश्यकता है। आज भी देश के कुछ विद्वान अपने स्तर पर शोध कर रहे हैं ताकि सही ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर किया जा सके। यह प्रश्न विचारणीय है कि ये शोधकर्ता किससे और किस उद्देश्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या यह इतिहास को संरक्षित करने की लड़ाई है, या फिर इतिहास की व्याख्या को लेकर मतभेद?
अहल्याबाई होल्कर की जन्मतिथि को लेकर अभी तक कोई एकमत राय नहीं बनी है। हालांकि, विभिन्न स्रोतों के आधार पर उनकी जन्मतिथि 1730, 1733, और 1725 के बीच बताई जाती है, जबकि मृत्यु 1795 में हुई मानी जाती है। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए भविष्य में और भी ऐतिहासिक दस्तावेजों और प्रमाणों की जांच की आवश्यकता होगी।