अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ने वाला है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने हाल ही में पुष्टि की है कि 30 अप्रैल 2025, अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर, श्रीराम दरबार की स्थापना मंदिर परिसर में की जाएगी। इस अवसर को अत्यंत पावन और ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि इसके माध्यम से रामलला अब अपने पूरे परिवार सहित विराजमान होंगे।
चम्पत राय ने बताया कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आस्था और गौरव का प्रतीक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जून में विशेष वैदिक विधियों द्वारा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होगा, जो त्रिदिवसीय होगा और जिसमें भगवान श्रीराम को राजा के रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा।
श्रीराम दरबार की स्थापना का महत्व
30 अप्रैल को श्रीराम दरबार की स्थापना का विशेष महत्व है। यह केवल मूर्तियों की स्थापना नहीं है, बल्कि एक नई सांस्कृतिक चेतना का आरंभ है। रामलला अब केवल बाल रूप में नहीं, बल्कि एक राजा, एक आदर्श पुरुष, और एक मार्गदर्शक के रूप में अपने भक्तों के समक्ष विराजमान होंगे।
इस दरबार में भगवान राम के साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, और भगवान हनुमान की मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। ये सभी मूर्तियाँ सफेद मकराना पत्थर से बनी हैं और जयपुर के शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक तकनीकों से निर्मित की गई हैं। मूर्तियों की भारीता को देखते हुए उन्हें विशेष मशीनों की सहायता से स्थापित किया जाएगा।
प्राण प्रतिष्ठा से पहले होंगे अनुष्ठानिक चरण
जून में प्रस्तावित प्राण प्रतिष्ठा से पहले, दो दिन तक विशेष वैदिक अनुष्ठान होंगे, जिसमें जलवास, अन्नवास, औषधिवास और शैय्यावास जैसे पवित्र कर्मकांड शामिल होंगे। ये सभी प्रक्रियाएं मंदिर परिसर में ब्रह्मचारी विद्वानों और आचार्यों की उपस्थिति में संपन्न होंगी।
मूर्तियों का आगमन और स्थापना की तैयारी
महामंत्री के अनुसार, 15 अप्रैल के बाद से मूर्तियों का आगमन शुरू हो जाएगा। कुल 18 मूर्तियाँ जयपुर से लाई जाएंगी, जिनमें संत तुलसीदास की प्रतिमा पहले ही स्थापित की जा चुकी है। इनके साथ-साथ भगवान श्रीराम के लिए विशेष रूप से बनाए गए वस्त्र और आभूषण भी तैयार किए जा रहे हैं।
दिसंबर 2025 तक पूर्ण होगा मंदिर निर्माण
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि मंदिर का पूर्ण निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। अब तक इस भव्य निर्माण कार्य में 5000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देश और दुनिया भर से मिला है, जो भक्तों की अथाह श्रद्धा का प्रमाण है।
एक और प्राण प्रतिष्ठा, मगर एक नई चेतना के साथ
जनवरी 2024 में हुए भव्य कार्यक्रम के बाद, यह दूसरी बार है जब प्राण प्रतिष्ठा होगी। लेकिन इस बार का आयोजन अलग है ,यह केवल देवप्रतिष्ठा नहीं, बल्कि रामराज्य की स्थापना का प्रतीक होगा। भगवान श्रीराम को राजसी स्वरूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा, जो भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास में एक नई ऊर्जा का संचार करेगा।
अयोध्या में चल रहे श्रीराम मंदिर निर्माण का यह अगला चरण ना केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और विज्ञान का एक भव्य संगम भी है। राम दरबार की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा आने वाली पीढ़ियों के लिए आस्था, विज्ञान और संस्कृति की अमूल्य विरासत बनकर सामने आएगी।