राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी मदन सिंह चौहान न केवल एक मृदुभाषी, मेहनती और निष्पक्ष अधिकारी के रूप में पहचान रखते हैं, बल्कि वे आमजन और पुलिस प्रशासन के बीच एक सशक्त सेतु बनने का कार्य भी कर रहे हैं। वर्तमान में पाली जिले में तैनात चौहान पुलिसकर्मियों और उनके परिवारों की व्यथाओं, चुनौतियों और संघर्षों को अपनी लेखनी के माध्यम से समाज और प्रशासन तक पहुंचाने का निरंतर प्रयास करते हैं। इस बार उन्होंने ‘राजस्थान पुलिस दिवस’ के अवसर पर भी अपने विचारों को शब्द दिए हैं।

राजस्थान का इतिहास और रियासतों की पुलिस का एकीकरण

हर साल 16 अप्रैल को हम राजस्थान पुलिस दिवस के रूप में मनाते हैं। राजस्थान की विविध रियासतों की पुलिस व्यवस्थाओं को एकजुट कर एक संगठित, सशक्त और जनसेवी बल के रूप में राजस्थान पुलिस की स्थापना हुई। वर्तमान में जीआरपी सहित राजस्थान में कुल 8 रेंज, दो पुलिस आयुक्तालय, 2 जीआरपी जिलों के अलावा 49 पुलिस जिले, 265 पुलिस वृत, 1045 पुलिस थाने, 1318 पुलिस चौकियां, एमबीसी सहित राजस्थान सशस्त्र बल की 22 बटालियनें हैं। इस प्रकार वर्तमान में राजस्थान पुलिस में 95000 पुलिस बल है। 18 मार्च 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर और करौली ने मिलकर मत्स्य संघ बनाया। इसके बाद बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, टोंक, बूंदी, उदयपुर राज्य जुड़े। 31 मार्च 1949 को जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर ने ग्रेटर राजस्थान में विलय किया। वर्ष 1956 में राजस्थान अपने वर्तमान स्वरूप में आ गया। इन रियासतों की अपनी-अपनी पुलिस व्यवस्थाएं थीं—कहीं सैन्य बल, तो कहीं पारंपरिक निगरानी व्यवस्था। जब ये सभी रियासतें एक राज्य में विलीन हुईं, तो आवश्यकता थी एक एकीकृत पुलिस बल की, जो पूरे राजस्थान में कानून-व्यवस्था बनाए रख सके। 16 अप्रैल 1949 को राजस्थान पुलिस को एक संयुक्त और संगठित बल के रूप में मान्यता दी गई। यही दिन आज राजस्थान पुलिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। तब पुलिस रेगुलेशन्स तैयार किए गए, जिससे एक समान प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रिया शुरू हुई।

आज की राजस्थान पुलिस: नई तकनीक, नई सोच | आज की राजस्थान पुलिस सिर्फ अपराध रोकने वाली संस्था नहीं है, बल्कि वह एक जनोन्मुखी, तकनीकी रूप से सशक्त और सेवा-समर्पित बल बन चुकी है।

महिला सुरक्षा, साइबर अपराध, ट्रैफिक नियंत्रण, ड्रग्स विरोधी अभियान, हेल्पलाइन सेवाएं, सोशल मीडिया के ज़रिए संवाद, और जन-सहभागिता कार्यक्रम—इन सब में राजस्थान पुलिस की सक्रिय भूमिका है। राजस्थान की पुलिस व्यवस्था ने पारदर्शिता और संवेदनशीलता को अपनाया है।

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