जयपुर: राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। माध्यमिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भारी कमी होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा निकाली गई वरिष्ठ अध्यापक और स्कूल व्याख्याता की भर्तियों में पदों की संख्या बेहद कम रखी गई है। इससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं में गहरी नाराजगी है।

 

पिछले एक साल में खाली हुए हजारों पद

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के अनुसार, 1 मई 2025 तक वरिष्ठ अध्यापक के 1,09,542 स्वीकृत पदों में से 37,249 पद खाली हैं। इनमें से 11,853 पद तो सिर्फ पिछले एक साल में ही रिक्त हुए हैं, फिर भी केवल 2,129 पदों पर ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है। इसी तरह स्कूल व्याख्याता के 57,194 पदों में से 18,651 पद खाली हैं, जिनमें 5,805 पद एक साल में खाली हुए हैं, लेकिन मात्र 2,202 पदों पर ही भर्ती निकाली गई है।

 

13 सालों में सबसे कम पदों पर भर्ती

विशेषज्ञों और बेरोजगार संगठनों का कहना है कि यह पहली बार है जब पिछले 13 वर्षों में सबसे कम पदों पर शिक्षक भर्ती निकाली गई है। राजस्थान बेरोजगार यूनियन के अध्यक्ष हनुमान किसान और विधायक मनीष यादव जैसे कई जनप्रतिनिधियों ने सरकार को पत्र लिखकर भर्तियों में पदों की संख्या बढ़ाने की मांग की है।

 

सूचना सहायक भर्ती 2023 भी अधर में लटकी

इसी के साथ सूचना सहायक भर्ती 2023 भी पिछले 2.5 वर्षों से अटकी हुई है। चयनित अभ्यर्थियों को अभी तक नियुक्ति नहीं दी गई है। अभ्यर्थियों ने सरकार से अपील की है कि वह कोर्ट में मजबूत पैरवी कर जल्द से जल्द स्टे हटवाकर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे।

 

सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था चरमराई

राज्य के अधिकांश सरकारी स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हाल और भी बुरा है, जहां गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। जब शिक्षकों के ही पद रिक्त रहेंगे तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे संभव होगी? राज्य सरकार को चाहिए कि वह शिक्षा विभाग की गंभीर स्थिति को समझे और जल्द से जल्द शिक्षकों की दोनों भर्तियों में पदों की संख्या बढ़ाकर योग्य युवाओं को अवसर दे। वरना आने वाले समय में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है।

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