नागौर: मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत राज्य सरकार ने अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन नागौर जिले के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में संसाधनों की भारी कमी योजना की सफलता में रोड़ा बन रही है। दवा वितरण केन्द्रों और फार्मासिस्टों की संख्या जरूरत से ज्यादा कम होने के कारण मरीजों को दवा के लिए घंटों तक लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है।
ओपीडी के अनुसार जरूरत से आधे भी नहीं हैं डीडीसी
स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार हर 120 ओपीडी मरीजों पर एक डीडीसी का संचालन जरूरी होता है। लेकिन जेएलएन अस्पताल में औसतन 1500 मरीज प्रतिदिन ओपीडी में आते हैं, ऐसे में यहां कम से कम 12 डीडीसी होना चाहिए। फिलहाल जेएलएन और एमसीएच को मिलाकर सिर्फ 6 डीडीसी संचालित हो रही हैं, जिनमें से केवल 2 ही 24 घंटे सेवाएं दे रही हैं।
फार्मासिस्टों की संख्या बेहद कम, नर्सिंग स्टूडेंट्स से हो रहा काम
वर्तमान व्यवस्था में सिर्फ 9 फार्मासिस्ट ही कार्यरत हैं, जबकि 24 घंटे सेवाएं देने के लिए न्यूनतम 20 फार्मासिस्ट की आवश्यकता है। नतीजतन, फार्मासिस्टों के स्थान पर प्रशिक्षु नर्सिंग स्टूडेंट्स को दवा वितरण की जिम्मेदारी दी गई है जिन्हें ना तो फार्माकोलॉजी की पूरी जानकारी है और ना ही सिस्टम का पूरा अनुभव।
फार्मासिस्टों के घटते पद
हाल ही में हुई फार्मासिस्ट भर्ती में जिले को उम्मीद थी कि कुछ नए फार्मासिस्ट मिलेंगे, लेकिन अधिकांश नियुक्तियां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) पर ही कर दी गईं। इसके अलावा प्रदेशभर में फार्मासिस्टों के 999 पदों को विलोपित कर दिया गया, जिससे जिला स्तर पर रिक्त पदों की संख्या नगण्य होकर रह गई है। राजस्थान फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ का कहना है कि यह कदम पहले से दबाव में चल रही स्वास्थ्य व्यवस्था पर और भार डाल रहा है।
नागौर को नहीं मिला एक भी हेल्पर
डीडीसी के कुशल संचालन में फार्मासिस्ट के साथ हेल्पर की भूमिका अहम मानी जाती है। हालांकि हाल ही में सरकार ने राज्य भर में 598 हेल्पर नियुक्त किए, लेकिन नागौर को एक भी हेल्पर नहीं मिला। जिले के किसी भी सीएचसी, उप जिला अस्पताल या जिला अस्पताल में हेल्पर की स्वीकृति तक नहीं दी गई है, जो योजना की क्रियान्वयन में एक बड़ी बाधा है।
सरकार ने मांगी रिपोर्ट, समाधान की उम्मीद
जेएलएन अस्पताल के पीएमओ डॉ. आरके अग्रवाल ने बताया कि अस्पताल में फार्मासिस्टों की गंभीर कमी को लेकर सरकार ने हाल ही में रिपोर्ट मांगी थी, जिसे भेज दिया गया है। उम्मीद है कि शीघ्र ही इस पर सकारात्मक निर्णय होगा और मरीजों को राहत मिलेगी।