नई दिल्ली/जयपुर: खेलों के राष्ट्रीय मंच ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025’ में राजस्थान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 60 पदकों के साथ पदक तालिका में तीसरा स्थान हासिल किया है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के होनहार खिलाड़ियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दीं।प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, “राजस्थान के खिलाड़ियों ने अथक परिश्रम, समर्पण और अद्वितीय खेल कौशल के साथ देश का नाम रोशन किया है। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।”

खिलाड़ियों की इस सफलता पर राज्य के खेल विभाग, कोचिंग स्टाफ और परिजनों ने भी गर्व व्यक्त किया है राजस्थान के लिए यह उपलब्धि कई मायनों में अहम है, क्योंकि यह दर्शाता है कि राज्य अब राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इस बार के खेलो इंडिया में राजस्थान ने कुश्ती, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, तीरंदाजी और हॉकी जैसे क्षेत्रों में पदक जीते। मुख्यमंत्री और खेल मंत्री ने भी खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार आने वाले समय में खेल इंफ्रास्ट्रक्चर और टैलेंट डेवलपमेंट पर और अधिक जोर देगी।

प्रधानमंत्री की सराहना से उत्साहित युवा खिलाड़ियों ने भविष्य में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का संकल्प लिया। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 की पदक तालिका में राजस्थान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 60 पदकों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त किया। इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलाड़ियों को बधाई देते हुए उनके “उत्कृष्ट प्रदर्शन, समर्पण और अथक प्रयास” की सराहना की और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। लेकिन जैसे ही तालियों की गूंज थमी, कुछ महत्वपूर्ण सवाल भी उठने लगे—क्या यह प्रतियोगिता वास्तव में निष्पक्ष है? या फिर यह भी एक राजनीतिक खेल बन चुकी है?

असली खेल: प्रदर्शन या पक्षपात?

खेलो इंडिया योजना की शुरुआत खेल प्रतिभाओं को निखारने और ओलंपिक स्तर पर तैयार करने के इरादे से की गई थी। लेकिन 2025 के आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि योजना का क्रियान्वयन पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित हो चुका है।

उदाहरण के लिए:

गुजरात को केवल 13 पदक मिलने के बावजूद ₹426.13 करोड़ का आवंटन हुआ। वहीं बिहार, जिसने 36 पदक जीते, उसे मात्र ₹20.34 करोड़ का फंड मिला। उत्तर प्रदेश, जिसे 52 पदक मिले, को मिला ₹439.46 करोड़ देश में सबसे ज़्यादा। अगर । अगर संसाधन प्रदर्शन के आधार पर मिलने चाहिए, तो यह तस्वीर क्या दिखाती है? क्या यह सिर्फ संयोग है कि गुजरात प्रधानमंत्री का गृह राज्य है? या फिर उत्तर प्रदेश, जहां “डबल इंजन सरकार” है, को इतनी बड़ी रक़म महज़ संयोगवश मिली?

राजस्थान की उपलब्धि और खर्च

राजस्थान को 60 पदकों के लिए ₹107.33 करोड़ मिले। यह प्रदर्शन के अनुसार ठीक-ठाक दिखाई देता है, लेकिन तुलना में तमिलनाडु, जिसने 65 पदक जीते, को केवल ₹20.40 करोड़ का आवंटन मिला। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है—क्या वास्तव में फंडिंग का आधार प्रदर्शन है?

क्या “दिल्ली मॉडल” हल है?

2021-22 में दिल्ली सरकार ने निजी लाइसेंसिंग को बढ़ावा देकर खुद खुदरा बिक्री से हाथ पीछे खींच लिया। उद्देश्य था—भ्रष्टाचार कम करना और अनुभव बेहतर बनाना। लेकिन इसके बाद घोटालों और जांचों का सिलसिला शुरू हुआ और सरकार को पीछे हटना पड़ा। इससे यह स्पष्ट होता है कि बिना पारदर्शिता और निगरानी के, कोई भी मॉडल सफल नहीं हो सकता।

भ्रष्टाचार से निपटने के तरीके

IT-बेस्ड ट्रैकिंग: हर खिलाड़ी और संसाधन की डिजिटल निगरानी।

ऑनलाइन पारदर्शी टेंडरिंग: लाइसेंस और फंडिंग प्रक्रिया पूरी तरह सार्वजनिक हो।

थर्ड पार्टी ऑडिट और सोशल ऑडिट: NGOs और मीडिया की निगरानी अनिवार्य हो।

गोपनीय शिकायत तंत्र: ताकि खिलाड़ी और कोच भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग बिना डर के कर सकें।

राजस्थान की यह सफलता “खेलो इंडिया” के मूल उद्देश्य — ग्रामीण और जमीनी स्तर पर खेल प्रतिभा को प्रोत्साहन — की दिशा में एक प्रेरणास्रोत बन रही है।

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