राज्य के प्रमुख चिकित्सा संस्थानों—मेडिकल कॉलेज (एनएमसीएच) और सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक (एसएसबी)—में ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है। दोनों अस्पतालों में स्थापित कुल 10 ऑक्सीजन प्लांटों में से वर्तमान में मात्र एक ही प्लांट कार्यरत है, जबकि शेष 9 प्लांट या तो बंद हैं या निष्क्रिय अवस्था में पड़े हुए हैं। इससे न केवल उपकरणों की उपयोगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि मरीजों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।

एसएसबी का ऑक्सीजन प्लांट पिछले एक वर्ष से बंद पड़ा है, जबकि एनएमसीएच का प्लांट एक महीने से निष्क्रिय है। इस स्थिति में मरीजों की ऑक्सीजन जरूरतें पूरी करने के लिए विभाग को निजी फर्मों से प्रतिदिन लगभग 350 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने पड़ रहे हैं, जिससे रोज़ाना ₹45,000 और महीने में लगभग ₹14 लाख का अतिरिक्त आर्थिक भार स्वास्थ्य विभाग पर पड़ रहा है।

बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांटों में कई महंगे उपकरण धूल फांक रहे हैं, जिनका रखरखाव और मरम्मत समय पर न होने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन प्लांटों का संचालन नियमित रूप से किया जाता, तो न केवल आपूर्ति सुचारु रहती बल्कि सरकारी खर्च में भी भारी बचत होती।

 

स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने और संभावित आपात स्थिति से निपटने के लिए यह आवश्यक है कि संबंधित विभाग इन प्लांटों की मरम्मत और पुनः संचालन की प्रक्रिया में तेजी लाए। यह न केवल मरीजों की जान बचाने में सहायक होगा, बल्कि सरकार के स्वास्थ्य बजट पर भी राहत प्रदान करेगा।

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