नई दिल्ली/जयपुर: भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 7 मई 2025 को एक राष्ट्रव्यापी नागरिक सुरक्षा मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश जारी किया है। यह कवायद केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि बदलते वैश्विक परिदृश्य और हाइब्रिड युद्ध की संभावनाओं के बीच भारत की स्ट्रैटेजिक प्रिपेयर्डनेस का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जा रही है। जहां आमतौर पर मॉक ड्रिल को स्थानीय घटना प्रबंधन तक सीमित माना जाता है, वहीं इस बार का आयोजन बहुआयामी खतरों—जैसे हवाई हमले, सायबर अटैक, परमाणु खतरे व आतंकी गतिविधियों के संदर्भ में देखा जा रहा है।

मॉक ड्रिल के प्रमुख उद्देश्य:

1. साइकोलॉजिकल रेडीनेस: नागरिकों को मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करना कि आपातकाल केवल सैनिकों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।

2. सिविलियन-मिलिट्री कोऑर्डिनेशन: यदि भारत किसी बाहरी आक्रामकता या प्राकृतिक आपदा की चपेट में आता है, तो नागरिक प्रशासन और सैन्य तंत्र के बीच रियल-टाइम तालमेल बेहद जरूरी है।

3. क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की सेफ्टी: परमाणु संयंत्रों, एयरबेस, रेलवे जंक्शनों और इंडस्ट्रियल हब्स को सुरक्षित रखने की पूर्व-योजना का परीक्षण।

4. इंफॉर्मेशन वॉरफेयर की तैयारी: ब्लैकआउट और इन्फॉर्मेशन ब्लैकआउट दोनों की स्थिति में अफवाहों को नियंत्रित करना और सोशल मीडिया पर सही संदेश देना।

राजस्थान के 34 संवेदनशील बिंदुओं पर ड्रिल

राजस्थान, जो सामरिक दृष्टि से पाकिस्तान सीमा से सटा है, इस मॉक ड्रिल में अहम भूमिका निभा रहा है। कोटा, रावतभाटा, जयपुर, अलवर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर जैसे शहर जहां या तो परमाणु संयंत्र, सैन्य अड्डे, या लॉजिस्टिक हब्स हैं, वहां यह अभ्यास विशेष गहनता से किया जाएगा। नसीराबाद, फुलेरा, भिवाड़ी और नागौर जैसे मध्यवर्ती शहरों में इस ड्रिल के जरिए द्वितीयक सुरक्षा प्रतिक्रिया केंद्रों की भूमिका को परखा जाएगा।

वैश्विक दृष्टि से प्रासंगिक

यूक्रेन-रूस युद्ध और इज़राइल-गाजा संघर्ष ने यह सिद्ध किया है कि आज के युद्ध केवल बॉर्डर पर नहीं लड़े जाते, बल्कि वे साइबर नेटवर्क, मीडिया और नागरिक समाज के भीतर भी लड़े जाते हैं। भारत की यह मॉक ड्रिल न केवल सैनिक शक्ति का पूरक है, बल्कि सामाजिक लचीलापन (social resilience) का परीक्षण भी है।

संदेश साफ है

भारत अब रिएक्टिव नहीं, प्रो-एक्टिव रणनीति पर काम कर रहा है। आपदा के समय घबराहट नहीं, सामूहिक सजगता और सुव्यवस्थित निकासी प्रणाली ही हमारी असली ताकत बनेगी।

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