राजस्थान में निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली एक गहराते हुए सामाजिक मुद्दे का रूप ले चुकी है। अजमेर शहर का महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्कूल इस समय अभिभावकों के आक्रोश का केंद्र बना हुआ है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन प्रतिवर्ष फीस में अनावश्यक वृद्धि कर छात्रों के अभिभावकों पर वित्तीय बोझ डाल रहा है।

फीस में “स्मार्ट क्लास चार्ज”, “एडवांस डेवलपमेंट फीस”, “एक्टिविटी फंड” जैसे नए-नए नामों से शुल्क जोड़े जा रहे हैं, जिनका न तो स्पष्ट उपयोग बताया जाता है और न ही कोई वैध विवरण उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा कई बार किताबें और यूनिफॉर्म स्कूल द्वारा तय दुकानों से ही महंगे दामों पर लेने के लिए दबाव डाला जाता है। यह सभी प्रथाएं शिक्षा के व्यावसायीकरण की ओर इशारा करती हैं।

वर्तमान में राजस्थान में शिक्षा का निजीकरण जिस रफ्तार से बढ़ रहा है, उसमें सरकारी निगरानी की भूमिका बेहद कमजोर नजर आ रही है। शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन बार-बार शिकायतों के बावजूद सख्त कार्रवाई करने में विफल रहा है।

अभिभावकों की मांग है कि राजस्थान सरकार एक पारदर्शी फीस नियामक तंत्र लागू करे, जो सभी निजी स्कूलों की फीस संरचना की निगरानी करे और इस तरह की लूट से छात्रों और उनके परिवारों को राहत दिलाए। यह केवल एक स्कूल की बात नहीं, बल्कि पूरे राज्य के शिक्षा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल है।

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