झुंझुनूं जिले के दुंडलोद गांव में पिछले पांच वर्षों से अस्पताल की बिल्डिंग तैयार खड़ी है, लेकिन आज तक उसमें चिकित्सा स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई है। करीब एक करोड़ रुपए की लागत से बनी इस स्वास्थ्य केंद्र की इमारत आज भी वीरान है, जिससे सैकड़ों ग्रामीणों को प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं के लिए दूरदराज के शहरों का रुख करना पड़ता है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, अस्पताल की बिल्डिंग वर्ष 2019 में बनकर पूरी हो चुकी थी, लेकिन न तो डॉक्टर नियुक्त किए गए और न ही नर्सिंग या तकनीकी स्टाफ। अस्पताल भवन में जरूरी उपकरण भी नहीं पहुंच पाए हैं, जिससे यह पूरी व्यवस्था केवल एक ढांचे तक सीमित रह गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और छोटे बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उन्हें निजी क्लीनिकों में महंगे इलाज के लिए मजबूर होना पड़ता है। वहीं आपातकालीन परिस्थितियों में साधन और समय की कमी से जान का जोखिम बना रहता है। यह समस्या केवल दुंडलोद तक सीमित नहीं है। राजस्थान के कई अन्य गांवों में भी वर्षों से अस्पताल बनकर तैयार हैं लेकिन स्टाफ और संसाधनों के अभाव में वे ठप पड़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भारी कमी के कारण यह संकट गहराता जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द स्टाफ की नियुक्ति की जाए ताकि ग्रामीणों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके। यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह इमारत सिर्फ एक ‘शोपीस’ बनकर रह जाएगी।