जालोर, राजस्थान: जिले की रानीवाड़ा तहसील इन दिनों भ्रष्टाचार और दलाली के अड्डे के रूप में चर्चा में है। तहसील कार्यालय के बाहर सक्रिय स्टांप वेंडर पर खुलेआम रिश्वत वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं। आमजन को जरूरी दस्तावेजों और प्रक्रियाओं के लिए बिचौलियों और दलालों के भरोसे रहना पड़ रहा है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासनिक तंत्र मौन, जनता परेशान

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रानीवाड़ा तहसील में काम करवाने के लिए बिना दलालों के सहयोग के फाइलें आगे नहीं बढ़तीं। स्टांप वेंडर और तहसील कार्यालय के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से यह रिश्वत का खेल बेधड़क चल रहा है। “हम बार-बार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन जब तक वेंडर को पैसा न दो, तब तक कोई सुनवाई नहीं होती,” एक स्थानीय बुज़ुर्ग ने बताया।

शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं

स्थानीय नागरिकों ने कई बार उच्च अधिकारियों से शिकायत करने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन की मिलीभगत या लापरवाही के चलते यह दलाली वर्षों से फल-फूल रही है।

जनता की मांग – निष्पक्ष जांच और कार्रवाई

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक संगठनों ने जिला कलेक्टर और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आम लोगों का प्रशासनिक व्यवस्था से भरोसा उठ जाएगा।

क्या कहता है कानून?

स्टांप वेंडर को केवल वैध स्टांप बेचने की अनुमति होती है। रिश्वत मांगना, दस्तावेज़ों को आगे बढ़ाने के एवज में पैसे लेना या बिचौलियों की भूमिका निभाना पूरी तरह से अवैध और दंडनीय अपराध है। रानीवाड़ा तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार पर जनता एकजुट होकर आवाज़ उठा रही है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब जागता है और क्या भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई होती है या नहीं।

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