जयपुर: देश की सेमी-हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस अपनी डिजाइन की गई अधिकतम रफ्तार 180 किमी प्रति घंटे तक अब तक नहीं पहुंच पाई है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, यह आधुनिक ट्रेन फिलहाल औसतन 73.48 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है, जो अपेक्षाओं से काफी कम है।

राजस्थान में हालात बेहतर, लेकिन सीमाएं बरकरार

रेल मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान से चलने वाली पांच वंदे भारत ट्रेनों की औसत गति 72.28 किमी प्रति घंटा दर्ज की गई है। राज्य में सबसे तेज चलने वाली ट्रेन अजमेर-चंडीगढ़ वंदे भारत है, जो 80.26 किमी प्रति घंटे की औसत गति से दौड़ रही है। वहीं सबसे धीमी ट्रेन जयपुर-उदयपुर और उदयपुर-आगरा कैंट रूट पर है, जिनकी औसत रफ्तार क्रमशः 68.56 और 68.02 किमी प्रति घंटा है।

 

देश में कहां तेज, कहां धीमी?

देशभर में सबसे तेज वंदे भारत ट्रेन नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चल रही है, जिसकी औसत रफ्तार 94.91 किमी प्रति घंटा है। दूसरी ओर, कोयंबटूर से बेंगलुरु कैंट के बीच चलने वाली वंदे भारत सबसे धीमी है, जिसकी औसत गति केवल 58.11 किमी प्रति घंटा है।

 

स्पीड बढ़ाने की कोशिशें जारी

उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीआरओ शशि किरण के अनुसार, “राज्य में वंदे भारत के 700 किमी से अधिक रूट को 130 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के लिए अनुमोदित कर दिया गया है। गति में रुकावट पैदा करने वाले प्रतिबंधों को भी चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है।”

 

रफ्तार पर तकनीकी और बुनियादी ढांचे की बंदिशें

2019 में दिल्ली-वाराणसी रूट से शुरू हुई वंदे भारत एक्सप्रेस को देश की आधुनिक रेल सेवाओं की पहचान के तौर पर देखा गया। लेकिन अभी तक यह ट्रेन अपनी तय स्पीड के करीब भी नहीं पहुंच सकी है। ट्रैक की स्थिति, तकनीकी सीमाएं और सेक्शनल स्पीड प्रतिबंध इसके मुख्य कारण हैं।

 

रेलवे अब इन बाधाओं को दूर कर वंदे भारत की औसत गति बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है। यात्रियों और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह ट्रेन न केवल तकनीकी रूप से उन्नत, बल्कि गति के लिहाज से भी असल ‘वंदे भारत’ कहलाएगी।

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