अजमेर: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की जिला स्तरीय संगठनात्मक बैठक आज अजमेर में आयोजित की गई। इस बैठक में जिला एवं विधानसभा स्तर के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। बैठक का मुख्य उद्देश्य सेक्टर और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत बनाना और आगामी चुनावों की रणनीति तय करना था। बैठक में बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती के दिशा-निर्देशों को विस्तार से साझा किया गया और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने पर जोर दिया गया। कार्यकर्ताओं से कहा गया कि वे निचले स्तर तक लोगों से संवाद बनाए रखें और पार्टी की नीतियों को स्पष्ट रूप से रखें।

राजस्थान में बसपा की स्थिति:

राजस्थान में बसपा का जनाधार कुछ क्षेत्रों में सीमित लेकिन प्रभावशाली रहा है, विशेष रूप से पूर्वी राजस्थान (भरतपुर, दौसा, करौली) और कुछ पश्चिमी जिलों में। पार्टी ने बीते वर्षों में विधानसभा में उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन कई बार उसके विधायकों ने कांग्रेस में विलय कर लिया, जिससे जमीनी संगठन को नुकसान पहुंचा। पार्टी अब स्वतंत्र रूप से खुद को पुनर्गठित करने और क्षेत्रीय स्तर पर मजबूती लाने की दिशा में काम कर रही है।

क्या बसपा जातिवाद को बढ़ावा देती है?

बसपा की आलोचना कई बार जातिगत आधार पर राजनीति करने को लेकर हुई है। हालांकि, पार्टी खुद को दलितों, पिछड़ों और वंचित वर्गों की आवाज के रूप में पेश करती है और उनका दावा है कि वे सामाजिक न्याय और समानता के लिए काम करती है। राजनीतिक विशेषज्ञों की राय में बसपा की राजनीति पहचान आधारित प्रतिनिधित्व पर केंद्रित है, जो भारत की सामाजिक संरचना के कारण जरूरी भी माना जाता है, लेकिन इसे जातिवाद और ध्रुवीकरण के रूप में भी देखा जाता है। बसपा राजस्थान में अपने संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की कोशिश कर रही है। अजमेर की बैठक इसी रणनीति का हिस्सा है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी राज्य में कितना जनाधार पुनः अर्जित कर पाती है।

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